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शास्त्रों के अनुसार इस समय नहाने से मिलते है कई फायदे, दुर्भाग्य बदल जाता है सौभाग्य में
सनातन धर्म में हर कार्य करने की सही विधि और सही तरीका बताया गया है जिसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य के साथ पौराणिक और शास्त्रीय महत्व है। हालांकि आज के आधुनिक जीवनशैली में हम इसी महत्व को नकार बैठे हैं। आज हम अपने दैनिक कार्य शास्त्रीय नियम के अनुसार ना करके अपनी सुविधा के मुताबिक करते हैं और इसीलिए हम अपनी आधुनिक जीवनशैली के वजह से कई सारी दिक्ततों का सामना भी करते हैं । साथ ही अपने दुर्भाग्य को स्वयं आमंत्रण भी देते हैं जी हां, दरअसल कई ऐसे दैनिक कार्य हैं जिसे समय पर करने की बजाए गलत वक्त कर हम अपने दुर्भाग्य को बढ़ावा देते हैं । ऐसा ही दैनिक कार्य है स्नान, जिसे अगर सही समय पर किया जाए तो ना सिर्फ शारीरिक लाभ मिलते हैं बल्कि शास्त्रों की माने तो इससे हमे शुभ फल प्राप्त होते हैं। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि शास्त्रों के अनुसार स्नान करने के लिए क्या उचित समय है और उसके क्या लाभ हैं।
धर्म शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त में यानी सुबह लगभग 4-5 बजे में स्नान को श्रेष्ठ बताया गया है .. मान्यता है कि अगर भगवान का चिंतन करते इस समय स्नान किया जाता है, तो वो ब्रह्म स्नान कहलाता है और ऐसा करने से व्यक्त्ति को भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसे जीवन के सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। वहीं शास्त्रों ऋषि स्नान का भी विधान है और जब सुबह-सुबह, जब आकाश में तारे दिखाई दे रहे हों और उस समय स्नान किया जाए तो ये स्नान ऋषि स्नान कहलाता है। जबकि इसके बाद सूर्योदय से पूर्व किए जाने वाले स्नान को मानव स्नान कहा जाता है। वैसे सूर्योदय से पूर्व किए जाने वाले सभी स्नान ही श्रेष्ठ होते हैं। लेकिन हमें कभी भी शाम, रात के समय या दोपहर बाद के समय नहाना नहीं चाहिए , हां अगर सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण का दिन हो तो उस परिस्थिति में रात के वक्त स्नान किया जा सकता है लेकिन सामान्य स्थिति में शास्त्रों के अनुसार हमें हमेशा ही ब्रह्म स्नान, देव स्नान या ऋषि स्नान ही करना चाहिए.. इससे हमें ईश्वर की कृपा मिलती है और जीवन में सुख की प्राप्ति होती हैं।
जबकि आज के आधुनिक जीवनशैली में बहुत से लोग सूर्योदय के बाद और चाय-नाश्ता करने के बाद ही स्नान करते हैं लेकिन आपकों बता दें कि शास्त्रों में ऐसा स्नान दानव स्नान कहलाता है। शास्त्रों की माने तो सूर्योदय के पूर्व तारों की छांव में स्नान करने से मां लक्ष्मी की प्राप्ति होती है जिससे बुद्धि ,रूप और सौभाग्य मिलता है। साथ ही इस समय स्नान करने से जीवन की कई परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। अगर इस वक्त स्नान करते हुए अपने ईष्ट देव का मंत्र, स्त्रोत कीर्तन भजन या भगवान के नाम का जाप करें तो इससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में सूर्योदय पूर्व स्नान का मह्त्व बताने के लिए एक श्लोक उल्लेखित है जो कि इस प्रकार है..
गुणा दश स्नान परस्य साधो रूपञ्च तेजश्च बलं च शौचम्।
आयुष्यमारोग्यमलोलुपत्वं दु:स्वप्रनाशश्च यशश्च मेधा:।।
इस श्लोक का अभिप्राय ये है कि जो लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं, उन्हें सुंदरता और यौवन, व्यक्तितत्व में तेज , स्वास्थ्य लाभ और रोग प्रतिरोधक क्षमता, वैचारिक पवित्रता,मानसिकशक्ति, बुरे सपनों से मुक्ति,आलस्य से मुक्ति, आयु वृद्धी और मान सम्मान जैसे दश लाभ मिलते हैं ।