भारत के इन रहस्यमयी मंदिरों में होता है चमत्कार, कारनामें सुनकर होश उड़ जाएंगे
भारत में अनेकों मंदिर हैं और हर मंदिर अपनी अलग-अलग विशेषता के कारण प्रसिद्ध है. इन मंदिरों से किसी न किसी कहानी को अवश्य जोड़ा जाता है. हर मंदिर की कोई न कोई मान्यता ज़रूर होती है जो ज़्यादातर लोगों को पता होती है. पर अभी भी कुछ मंदिर ऐसे हैं जो रहस्यमयी हैं. वहां पर होने वाले चमत्कार को देख लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं आज हम ऐसे ही 4 रहस्यमयी मंदिरों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसके चमत्कार के बारे में सुनकर आपको भी यकीन नहीं होगा.
तिरुपति बालाजी
सबसे पहले बात करते हैं तिरुपति बालाजी के मंदिर की. लोग कहते हैं की यहां पर वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर जो बाल लगे हैं वह असली हैं. उनके बाल बेहद मुलायम हैं और कभी भी आपस में नहीं उलझते. लोगों का मानना है की ऐसा होने की वजह स्वयं वेंकटेश्वर स्वामी का वहां विराजमान होना है. अगर आप मूर्ति पर कान लगाकर सुनेंगे तो आपको समुद्र की लहरें सुनाई देंगी और इस वजह से भगवान की मूर्ति में हमेशा नमी बनी रहती है. जैसे ही आप मंदिर के अंदर जायेंगे आपको दायीं तरफ एक छड़ी रखी हुई दिखाई देगी. बताया जाता है कि जब भगवान छोटे थे तो उनकी पिटाई इसी छड़ी से हुई थी, जिससे की उनकी ठोड़ी पर चोट आ गयी थी. उस घटना के बाद से लेकर आजतक भगवान की ठोड़ी पर चंदन का लेप लगाकर उनके घाव को भरा जाता है.
पद्मनाभ मंदिर
दूसरे नंबर पर आता है तिरुवनंतपुरम का पद्मनाभ मंदिर. इस मंदिर में कई तहखाने हैं और छठा तहखाना आज भी एक रहस्य है. ऐसा माना जाता है की 1908 में जब कुछ लोगों ने इस तहखाने को खोलने की कोशिश की तब उन्हें कई सिरों वाला एक किंग कोबरा बैठा हुआ मिला जिसके चारों तरफ नागों का झुंड था. उसके बाद लोग जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकले. दरअसल इस किंग कोबरे को खज़ाने का रक्षक बताया जाता है. ज्योतिष बताते हैं कि तहखाना खोलने की कोशिश करने से पहले नाग के प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए, नही तो यह आपके लिए जानलेवा हो सकता है. आप जानकार अचंभित रह जायेंगे की पांचों तहखानो से अब तक एक लाख करोड़ से भी ज़्यादा की दौलत बरामद हो चुकी है.
मां शारदा का मंदिर
तीसरा नंबर है मध्यप्रदेश के सतना जिले में मैहर देवी मंदिर का. इसे मैहर देवी का मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि मैहर का अर्थ है- मां का हार. पूरे भारत में मां शारदा का यह इकलौता मंदिर है. कहा जाता है कि पृथ्वीराज चौहान के साथ आल्हा और उदल नाम के दो युवकों का युद्ध हुआ था. वे दोनों भी मां शारदा के बहुत बड़े भक्त थे. मां के मंदिर की खोज जंगलों के बीच इन्होने ही की थी, और तबसे इसे मां शारदा का मंदिर कहा जाने लगा. लोगों का मानना है की हर रोज़ आज भी आल्हा और उदल ही सबसे पहले मां का दर्शन करते हैं.
कालभैरव मंदिर
कालभैरव का मंदिर उज्जैन शहर में स्थित है. भगवान को आपने प्रसाद में मिठाई चढ़ाते हुए तो सुना ही होगा, पर यहां ऐसा नहीं होता. यहां पर भगवान को प्रसाद में शराब चढ़ाई जाती है. कहा जाता है कि भगवान की मूर्ति के सामने अगर आप मदिरा रखते हैं तो मदिरा से भरी प्याली अपने आप खाली हो जाती है. यह शराब कैसे गायब हो जाती है अब तक किसी को पता नहीं चल पाया है. मान्यता है की अगर आप शराब चढ़ाएंगे तो आपकी सारी बुरी आदतें भगवान के पास ही रह जायेंगी. पहले के समय में यहां तांत्रिकों को ही आने दिया जाता था, पर अब यहां पर बड़ी मात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ भगवान को शराब चढ़ाने के लिए लगी रहती है.