हृदय विरादक: बेटों के पास नहीं थे कफ़न के पैसे, भीख माँगकर किया दो दिन बाद माँ का अंतिम संस्कार
खगड़िया: कई बार इंसान के सामने कुछ ऐसी मजबूरियां आ जाती हैं, जिसके चलते वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता है। एक माँ बच्चे के लिए बहुत प्रिय होती है। उसका इस दुनिया से जाना हर बेटे के लिए दुखदायी होता है। लेकिन यह तो दुनिया का अटल सत्य है, जिसे कोई बदल नहीं सकता है। जिसनें भी जीवन लिया है, उसे एक ना एक दिन यह दुनिया छोड़कर जाना ही है। मरने के बाद हर बेटा यही चाहता है कि वह अपने माता-पिता का अच्छे से अंतिम संस्कार करे।
लेकिन इस दुनिया में ऐसे भी मजबूर लोग हैं, जो यह भी नहीं कर पाते हैं। सरकार के गरीबी उन्मूलन के तमाम दावे एक-एक करके फेल होते जा रहे हैं। कुछ दिनों पहले एक छोटी बच्ची की अनाज ना होने की वजह से भूख से दम तोड़ने की घटना ने पुरे देश को हिला दिया था। इस बार मामला कुछ और ही है, लेकिन इसकी जड़ भी गरीबी से ही जुडी हुई है। मंगलवार को जिले के ही धुसमुरी विशनपुर में एक हृदय विरादक घटना देखने को मिली।
दरअसल दो दिन पहले मरी हुई अपनी माँ के अंतिम संस्कार के लिए बेटों ने भीख माँगकर कफ़न की व्यवस्था की। तीसरे दिन मंगलवार को जब पैसे एकत्रित हो गए तो दाह-संस्कार की तैयारी शुरू हुई। जब इस मामले के बारे में जिला प्रशासन को पता चला तो डीएम के निर्देश के बाद मुंगेर गंगा घाट पर दाह-संस्कार की तैयारी की गयी। सदर प्रखंड के धुसमुरी में आशा कार्यकर्ता रुक्मिणी देवी की बीते रविवार को मृत्यु हो गयी।
दाह-संस्कार के लिए उनके बेटों के पास पैसे नहीं थे। जब दाह-संस्कार का जुगाड़ नहीं हुआ तो उनके बेटों राहुल और राकेश ने माँ की अर्थी उठाने के लिए लोगों से भीख माँगी। लोगों ने अंतिम संस्कार के लिए मदद भी की। जब इसकी सूचना जिले के डीएम जय सिंह को हुई तो उन्होंने तुरंत निर्देश दिया कि दाह-संस्कार की व्यवस्था मुंगेर गंगा घाट पर करवाया जाये। इसके साथ ही कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत उन्हें मदद भी मुहैया की जाये। इसके तहत रुक्मिणी के परिवार को तीन हजार रूपये की राशि प्रदान की गयी।