सैकड़ों सालों से भगवान जगन्नाथ करते हैं मौसम की भविष्यवाणी, यहां है मंदिर
मौसम का हाल जानने के लिए हम टीवी, रेडियो और अखबार में समाचार पढ़ते और सुनते हैं। लेकिन क्या आपको पता है भारत में एक ऐसी जगह है जहां हजार साल से भगवान जगन्नाथ स्वयं भविष्यवाणी कर बताते हैं की बरसात और मौसम कब खराब होने वाला है। इसी रहस्य को लेकर कई बार वैज्ञानिक भी जांच पड़ताल कर चुके हैं, लेकिन वो भी हैरान है की आखिर कैसा है ये रहस्य जो इस मंदिर में सैकड़ों साल से आ रहा है। आज हम आप सामने एक ऐसा रहस्य लेकर आए हैं जो किसी को भी हैरान करने की ताकत रखता है। एक ऐसा मंदिर जहां ईश्वर का चमत्कार हर तरफ दिखाई देता है। जहां विज्ञान के सिद्धांत फेल हो जाते हैं। जहां हर पल चमत्कार होता दिखाई देता है क्योंकि ये चमत्कार और किसी से नहीं बल्कि खुद भगवान जगन्नाथ से जुड़ा है।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक मंदिर की छत से चिलचिलाती धूप में अचानक पानी टपकने लगे। बारिश की शुरुआत होते ही जिसकी छत से पानी टपकना बंद हो जाए। सुनने में तो स अविश्वसनीय लगता है। लेकिन है बिल्कुल सत्य। भगवान जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर एक पत्थर लगा है। मान्यता है कि मानसून आने के कुछ दिन पहले यह पत्थर पानी टपकाकर संदेश देने लगता है।
जगन्नाथ जी का ये मंदिर कानपुर जिले के भीतरगांव ब्लॉक में पड़ता है। जहां से तीन किलोमीटर दूर एक गांव है बेहटा जहां धूप में छत से पानी की बूंदों के टपकने और बारिश में छत के रिसाव के बंद होने का रहस्य सालों से कायम है। यह चमत्कार किसी आम इमारत या घर में नहीं बल्कि भगवान जगन्नाथ के सैकड़ों साल पुराने मंदिर में होता है। पानी टपकने के इस अवस्था से किसान सैकड़ों साल से मौसम का हाल जानते आ रहे हैं।
आश्चर्यो और चमत्कार से भरे हमारे भारत में इस चमत्कार को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता ये है की मंदिर बारिश होने की सूचना 7 दिन पहले ही दे देता है। बरसात से 7 दिन पहले इसकी छत से बारिश की कुछ बूंदे अपने आप ही टपकने लगती हैं। जिसके बाद ये स्पष्ट संकेत मिल जाता है कि सात दिन के बाद पानी बरसेगा।
जगन्नाथ मंदिर के इस रहस्य को जानने के लिए तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी वैज्ञानिक जान नहीं पाए की आखिर राज क्या है। पुरातत्व वैज्ञानिक कई सर्वे के बाद सिर्फ ये बता पाए की मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था। उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया। ये आज भी पहेली बनी हुई हैं, लेकिन बारिश की जानकारी पहले से लग जाने से किसानों को जरूर सहायता मिलती है।
जगन्नाथ मंदिर कब बना है कितने साल पुराना है, इसके बारे में किसी को पता नहीं है। पुरातत्व विभाग के अनुसाल मंदिर की दीवारें बौद्ध मठ जैसी है। मंदिर की दीवारें करीब 14 फीट मोटी हैं, मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां हैं। जैसी रथ यात्रा पुरी ओडिसा के जगन्नाथ मंदिर में निकलती है।