पिता के साथ सुबह पढ़ रहा था अखबार, कमरे में जाकर कर ली ऐसी हरकत…
ग्वालियर: एक समय में हमारा भारत बाकी देशों के बदले सबसे अधिक हिम्मत वाला था. इसका कारण लोगो के बीच में प्यार और अपनापन था. लेकिन, आज का समय बदल चुका है. इन्टरनेट ने दुनिया की परिभाषा बदल कर रख दी है. जहाँ एक समय में लोगों को खेल कूद कर संतुष्टि मिलती थी, ताकत मिलती थी, वहीँ आज कल बैठे बैठे मोबाइल चलाने में ही पूरा समय नष्ट कर देते हैं. पुराने समय में भारत के लोगों का खान पान भी इतना अच्छा था कि हमेशा हसी ख़ुशी उनका जीवन बीत जाता था. जबकि, अब समय बदल चुका है. अब इंसानों में ना तो पहले के जैसा प्यार रहा है ना ही अपनापन. अब तो लोग अपनों से ही नफरत निकाल कर उनको जान से मार देते हैं. समय के साथ साथ इंसानों की स्ट्रेस बहुत बढती जा रही है. इसी स्ट्रेस के कारण लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और ज़िन्दगी में आये दुखों से लड़ना छोड़ देते हैं. उनको बीएस मौत ही सब समस्याओं का समाधान नजर आती है. कुछ ऐसा ही मामला हाल ही में हमारे सामने आया है. जहाँ एक जवान बेटे ने खुदखुशी करके अपने बूढ़े बाप को हमेशा के लिए दर्द में जीने को छोड़ दिया. चलिए जानते हैं आखिर पूरी ख़बर क्या है…
पीएससी की तैयारी कर रहा था मृतक
एक माँ बाप के लिए उनके जवान बेटे की मौत किस कदर उन्हें दर्द देती है ये तो बस वहीं माँ बाप बता सकते हैं. ऐसा ही अजीबो गरीब मामला माधौगंज इलाके से हमारे सामने आया है. दरअसल, माधौगंज इलाके के एक बेटे ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी. बेटे के पिता ने बताया कि वह अच्छा भला उनके साथ बैठा अखबार पढ़ रहा था. अचानक वह उठ कर कमरे में चला गया. जब काफी देर तक वह वापिस ना आया तो उसके पिता उसको कमरे से बुलाने के लिए गये और वहां खिड़की से अपने बेटे की पंखे से लटक रही लाश को देख कर सन्न रह गये. इसके बाद उन्होंने देखा तो कमरे का दरवाज़ा बंद था. फिर उन्होंने अपने दुसरे बेटे को बुलाया और दरवाज़ा तोड़ कर युवक को अस्पताल ले गये. लेकिन, तब तक देर हो चुकी थी.
दरअसल, शिव कॉलोनी में राजेन्द्र सिंह भदौरिया का 22 वर्षीय बेटा अरविन्द घर पर ही पीएससी की तैयारी कर रहा था. सुबह वह रोज़ की तरह बैठा अपने पापा के साथ चाय पी रहा था और साथ में अखबार पढ़ रहा था. इसके बाद उसने अखबार अपने पिता को दिया और कमरे में चला गया. जब दो घंटे तक वह कमरे से बाहर नही निकला तो सच जानकार पिता के होश उड़ गये.
अस्पताल लेजाने से पहले चल रही थी साँसे
जब भदौरिया ने कमरे की खिड़की से अपने बेटे अरविन्द को छत से लटकते हुए देखा तो उन्होंने अपने छोटे बेटे को दरवाज़ा तोड़ने के लिए बुला लिया. दरवाज़ा तोड़ने के बाद दोनों ने मिल कर अरविन्द को चट से नीचे उतरा. तब तक अरविन्द अपनी आखिरी सांसें ले रहा था. जिसके बाद परिवार वालों को उम्मीद की किरण नजर आई और वह उसको नजदीकी अस्पताल ले गये. वहां जाकर उन्हें पता चला कि अरविन्द मर चुका था.
फ़िलहाल पुलिस इस मामले की कारवाई कर रही है. जानकारी के अनुसार भदौरिया अपने बेटे के पोस्टमार्टम के लिए पुलिस को मना कर रहा है. पुलिस ने करवाई के दौरान इस बात का खुल्लासा किया है कि वह पीएससी की तैयारी कर रहा था. हालाँकि, अरविन्द की मौत की असली वजह अभी तक किसी को पता नहीं चल पायी है और ना ही उसने मरने से पहले कोई सुसाइड लेटर छोड़ा था.