आज है शनि अमावस्या, करेंगे ये उपाय तो दूर होंगे शनिदोष और मिलेगा 4 गुना फल
18 नवंबर यानि आज के दिन शनैश्चरी अमावस्या का शुभ संयोग बना रहा है। इस रोज किए गए कुछ उपाय शनि करने से अशुभ प्रभाव रक्षा मिलता और शानिदेव प्रसन्न होते हैं। अमावस्या के दिन शनिवार हो ऐसा संयोग बहुत कम बनता है। 18 नवंबर यानि आज प्रातः 7 बजे से रात्रि 9 बजे तक अमृत योग बन रहा है। इस योग में शनिदेव की विधि-विधानपूर्वक उपासना से सुख, समृद्धि, संपत्ति, शांति, संतान और आरोग्य सुख मिलता है और सारे कष्ट दूर होते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए बेहद खास है जिनके ऊपर शनि दोष है। Shani amavasya 2017 puja muhurta.
30 साल बाद बन रहा है ऐसा योग
हिंदु शास्त्रों में शनि अमावस्या को खास महत्व दिया गया है, क्योंकि इसी दिन कर्मफलदाता शनिदेव का जन्म हुआ था। क्योंकि इस बार अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही हैं इसलिएए यह अमावस्या बेहद शुभ और खास है। आपको बता दें कि शनि अमावस्या पर ऐसा महासंयोग करीब 30 साल पहले साल 1987 में बना था। इस दुर्लभ संयोग पर शनिदेव की अराधना करने से जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर होती हैं। इसके अतिरिक्त जिनकी कुण्डली में शनि दोष हो उन्हें भी शनि अमावस्या के दिन पूजा करने से लाभ मिलता है।
क्या है हिन्दु शास्त्रों की मान्यता ?
हिंदु शास्त्रों के मुताबिक शनि अमावस्या पर पूर्ण आस्था से दान करने पर उसका 4 गुना फल मिलता है। इस दिन असहाय और गरीब व्यक्ति की सेवा करने से शनि की कृपा मिलती है। शनि अमावस्या के दिन पीपल की जड़ में जल चढ़ाएं और शनिदेव को खुश करने के लिए शनिदेव के बीज मंत्र का पाठ करें। इस दिन किसी शनि मंदिर में काले तिल, लोहे के पात्र आदि दान करें। अगर आफ ऐसा करते हैं तो इससे न केवल शनिदेव खुश होते हैं, बल्कि पितर भी खुश और शांत होते हैं। शनि अमावस्या की शाम को घर के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
किन मंत्रों का करें स्मरण?
शनि अमावस्या के दिन शनि देव को खुश करने के लिए आप ॐ भानुपुत्राय नम:, ॐ धनदाय नम:, ॐ मन्दचेष्टाय नम:, ॐ क्रूराय नम:, ॐ मन्दाय नम: आदि मंत्रों का उच्चारण करें। शनि अमावस्या का शुभ मुहुर्त सुबह 7 बजे से लेकर रात 9 बजे तक है। इसके अतिरिक्त शनि देव को खुश करने के लिए ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक शनि के वैदिक मंत्र ‘ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु न:।’शनि का पौराणिक मंत्र ‘ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।’ आदि मंत्रों का भी जाप करें तो लाभ की प्राप्ति होती है।