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नर्स का हैरतअंगेज खुलासा, ज़हर देकर मारे 100 से ज्यादा मरीज, इस काम में आता था बहुत मजा

नई दिल्ली: आज के समय में इंसानियत धीरे-धीरे ख़त्म होती जा रही है। के समय था जब लोग दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह भी नहीं करते थे। लेकिन आज के समय में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो केवल मजे के लिए ही लोगों को मार देते हैं। अक्सर आपने डॉक्टरों की लापरवाही की खबर पढ़ी या देखी होगी। नर्सों के बारे में कहा जाता है कि उनके अन्दर सेवा भावना कूट-कूटकर भरी होती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी नर्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी क्रूरता के बारे में जानकर आपके पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी।

दो अस्पतालों में दे चुका था घटना को अंजाम:

दरअसल हम जिस नर्स की बात कर रहे हैं वह जर्मनी की रहने वाली है। जर्मनी में एक नर्स द्वारा जहरीला इंजेक्शन देकर 100 से अधिक मरीजों को मार डालने के मामले की जांच पूरी हो गई है। अदालत में सुनवाई के दौरान मेल नर्स नील्स होजेल ने बताया कि उसने जान बूझकर 90 मरीजों को हार्ट अटैक की स्थिति तक पहुंचाया। ऐसा करने में उसे बहुत मजा आता था। नील्स ने बाद में खुद ही स्वीकार किया कि उसने डेलमेनहा‌र्स्ट के अलावा ओल्डेनबर्ग के एक अस्पताल में भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया।

पहले ही मिल जाती सूचना तो नहीं मारे जाते इतने लोग:

जानकारी के लिए आपको बता दें इस व्यक्ति ने ओल्डेनबर्ग में 1999 से 2002 तथा डेलमेनहा‌र्स्ट के अस्पताल में 2003 से 2005 तक काम किया था। इस समय वह दो हत्याओं के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। पुलिस ने अपनी जाँच के लिए कब्रिस्तान से 134 शव बाहर निकाले। पुलिस ने बताया कि अगर नील्स की हरकतों के बारे में दोनों अस्पतालों के कर्मचारियों ने पहले ही सूचना दे दी होती तो शायद इतने लोग नहीं मारे जाते। अब तक कुल 16 ऐसे मामले मिले हैं, जिनमें नर्स की भूमिका को संदिग्ध माना गया है।

जानबूझकर देता था ड्रग्स की ज्यादा मात्रा:

आपको बता दें पुलिस ने अगस्त में कहा था कि नील्स ने कम से कम 84 रोगियों की हत्या की है। पुलिस इस समय 41 शवों की टॉक्सीकोलॉजी रिपोर्ट का इंतजार कर रहो है। बताया जा रहा है कि अभियोजक नील्स के खिलाफ 2018 की शुरुआत में पूरक आरोपपत्र दायर करेंगे। सबसे पहले नील्स को 2015 में दो मरीजों की हत्या और दो की हत्या के प्रयास में दोषी करार दिया गया था। वह जानबूझकर मरीजों को ड्रग्स की ज्यादा मात्रा देता था। इस वजह से मरीजों को हार्ट अटैक आ जाता था और उनकी मृत्यु हो जाती थी।

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