थल सेना प्रमुख ने पड़ोसी देशों को चेताते हुए कहा कि अगर हमें कोई छेड़ेगा तो हम उसे छोड़ेंगे नहीं
नई दिल्ली: भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन किस तरह से भारत की नाक में दम किये हुए हैं, किसी को यह बताने की जरुरत नहीं है। जहाँ एक तरफ पाकिस्तान भारत में अपने आतंकी भेजकर हमले करवाता है और भारत के टुकड़े करने के ख्वाब देख रहा है, वहीँ दूसरी तरफ चीन अपने सैनिकों के द्वारा भारत के क्षेत्र में जबरदस्ती घुस जाता है। दोनों ने ही भारत को जमकर परेशान करने का काम किया है। लेकिन भारत भी इनसे डरने वालों में से नहीं है।
भारत है एक शांतिप्रिय और शक्तिशाली देश:
समय-समय पर भारतीय सेना ने दोनों को जमकर टक्कर दी है। पाकिस्तान को तो सीमा पर हर रोज ही मात खानी पड़ती है। इसके बाद भी पाकिस्तान अपनी कारस्तानियों से बाज नहीं आता दिख रहा है। हाल ही में थल सेना प्रमुख ने कहा है कि, “हम शांति के पक्षधर हैं लेकिन हमें कोई छेड़ेगा तो हम उसे छोड़ेंगे भी नहीं। हम शांतिप्रिय शक्तिशाली देश हैं। भारत अमन-चैन से रहते हुए अपना विकास कर रहा है।“
देश के दुश्मनों से लड़ने में है पूरी तरह से माहिर:
सेना प्रमुख बिपिन रावत ने गुरुवार की रात 39 जीटीसी में आयोजित कार्यक्रम में जवानों से कहा कि सबसे पहले मैं आपको 200 वर्ष पूरा होने पर बधाई देता हूं। भारतीय सेना में शुरू से ही गोरखाओं की अहम भूमिका रही है और इन्होने जमकर खून-पसीना बहाया है। इनकी वीरता पूरी दुनिया जानती है। यह देश के दुश्मनों से लड़ने में पूरी तरह से माहिर हैं। इस अवसर पर बिपिन रावत ने फर्स्ट डे कवर (डाक टिकट जारी करने के दिन की मुहर का लिफाफा) और सैनिक सम्मान पुस्तक का विमोचन भी किया। इस अवसर पर उन्होंने दो लाख रुपये का चेक नाइन जीआर को दिया।
घाट पर किये गए थे सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम:
आज सुबह ही थल सेना प्रमुख बिपिन रावत वॉर मेमोरियल पर पुष्प अर्पित करने के बाद दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इससे पहले बिपिन रावत अपनी पत्नी के साथ दशाश्वमेघ घाट पर होने वाली गंगा आरती में भी शामिल हुए। कल शाम लगभग साढ़े चार बजे सेना के विशेष विमान से वह लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पहुँचे थे। वहाँ से वह गोरखा प्रशिक्षण केंद्र गए, उसके बाद रानी घाट गए जहाँ से मोटर बोट लेकर दशाश्वमेघ घाट गए। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इन्तेजाम भी किये गए थे।