ईडी का अबतक का सबसे बड़ा खुलासा, इस तरह से किया जाता था काले धन को सफ़ेद
नई दिल्ली: भारत में आज से ही नहीं काफी समय से काले धन की समस्या एक जटिल समस्या बनी हुई है। टैक्स की चोरी करके लोग अपना काला धन किसी ऐसे काम में लगाते थे जिससे वह सफ़ेद हो जाता था। उन लोगों के इस कारनामें की वजह से देश को काफी हानि का सामना करना पड़ा है। पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद ही कह दिया था कि वह काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्यवाई करेंगे। इसी वजह से उन्होंने पिछले साल नोटबंदी का ऐलान किया था।
तेजी से शुरू कर दिया काले धन को सफ़ेद करने का काम:
हालांकि नोटबंदी के बाद काला धन रखने वालों काफी नुकसान भी हुआ था, लेकिन कुछ रसूखदार लोगों ने अपनी पहचान की वजह से अपने काले धन को तेजी से सफ़ेद करने का काम शुरू कर दिया था। नोटबंदी के दौरान ईडी ने जो छापेमारी की उससे शेल कंपनियों और बेनामी संपत्ति के गठजोड़ का खुलासा हुआ। इस जाँच के बाद पता चला कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत काले धन को ठिकाने लगाने में ऐसी कंपनियों की भूमिका 48 प्रतिशत रही, जबकि रियल एस्टेट की 35 और सोना-चांदी की भूमिका 7 प्रतिशत है।
नेताओं और अन्य प्रभावशाली लोगों के खिलाफ चल रही है जाँच:
काले धन से बनी हुई अनेक संपत्तियों की जांच का काम तेजी से जारी है। साथ ही कई नेताओं व अन्य प्रभावशाली लोगों के खिलाफ भी जांच की जा रही है। आपको बता दें ईडी अब तक लगभग 1000 से अधिक शेल कंपनियों पर कार्रवाई कर चुका है। अब तक की जाँच से ईडी को लगभग 1660 करोड़ की मनीलॉन्ड्रिंग का पता चला है। अब तक ईडी के द्वारा नौ हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति अटैच की जा चुकी है और जांच में जीतने भी काले धन का खुलासा होगा उसे भी इसके साथ अटैच कर दिया जाएगा।
800 से अधिक कम्पनियों की बैलेंस सीट पर करता था अकेले साइन:
ईडी को हाल ही में कोलकाता के एक ऐसे चार्टर्ड अकाउंटेंट के बारे में पता चला है जो 800 से अधिक कंपनियों की बैलेंस शीट पर अकेले साइन करता था। दिल्ली के सबसे पॉश लुटियन जोन इलाके सहित अनेक अहम जगहों पर संपत्तियों की जांच का काम तेजी से किया जा रहा है। फेमा और मनी लॉन्ड्रिंग के 3700 से अधिक मुकदमे नोटबंदी के बाद से अब तक दर्ज किए जा चुके हैं।