दिल्ली-एनसीआर की हवा में घुला खतरनाक ज़हर, ज़हरीले स्मॉग से बचने के लिए अपनाएँ यह उपाय
नई दिल्ली: दिवाली के बाद से दिल्ली-एनसीआर की हवा लगातार बिगड़ती जा रही है। इस समय दिल्ली की सड़कों पर निकलना मुश्किल हो गया है। जहरीले स्मॉग ने पूरी दिल्ली को अपनी आगोश में ले लिया है। लगातार लोगों की बिगड़ती हालत की ख़बरें आ रही हैं। आँख में जलन, साँस लेने में दिक्कत ये कुछ आम समस्याएँ हैं। घुन्ध से निजात पाने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बन लगाया था।
लोग बचने के लिए अपना रहें हैं अनेक उपाय:
लेकिन हालत यह है कि सेहत के दुश्मन पीएम 2.5 और पीएम 10 सामान्य स्तर से 10 गुना दिल्ली के वातावरण में तैर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दिल्ली में स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की, उसके बाद दिल्ली सरकार हरकत में आई और रविवार तक पांचवीं तक पढ़ने वालों बच्चों की छुट्टी का ऐलान किया। इस समय दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले हर व्यक्ति की साँसों में स्मॉग ही घुला हुआ है। लोग पीएम कणों का सामना करने के लिए तमाम उपाय अपना रहे हैं।
पड़ोसी प्रदेश भी है दिल्ली के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार:
दिल्ली-एनसीआर के इस बढ़ते प्रदूषण के पीछे कई करक हैं। वायु प्रदूषण के लिए यहाँ का अनियंत्रित विकास कार्य जितना जिम्मेदार है उतना ही इसके पड़ोसी राज्य भी जिम्मेदार हैं। हरियाणा और पंजाब में भारी मात्रा में पराली जलाई जाती है, जिसका बुरा परिणाम दिल्ली के लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है। दोनों ही राज्यों की सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फटकार भी लगाई लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। अभी भी वहाँ बड़े स्तर पर पराली जलाई जाती है।
थोड़े दिनों बाद भूलकर अगले साल फिर रोयेंगे यही रोना:
2016 में दीपावली के ठीक बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर स्कूलों को बंद करना, ऑड-ईवन के फॉर्मूले पर अमल किया गया साथ ही पेड़-पौधों पर पानी का छिड़काव किया गया। इसके अलावा बदरपुर थर्मल पावर स्टेशन, डीजल जनरेटर और निर्माण कार्यों की गतिविधियों पर कुछ समय के लिए रोक लगाई गई। आज एक बार फिर दिल्ली और एनसीआर के सामने पिछले साल जैसी ही चुनौती है। सरकार को अपने कर्तव्य का भान हो रहा है और लोग भी घरों के अंदर, शहर के चौराहों पर, बसों में चिंता कर रहे हैं कि अब प्रदूषण के खिलाफ जंग लड़नी ही होगी। लेकिन सब कुछ ही दिनों में फिर से भूल जायेंगे और अगले साल यही रोना फिर रोयेंगे।
स्मॉग से बचने के लिए अपनाना होगा यह उपाय:
*-ज्यादा से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल।
*- कम से कम कार का प्रयोग करें।
*- भविष्य में फिर से इस तरह की खतरनाक स्थिति ना उत्पन्न हो इसलिए जितना हो सके पौधे लगायें।
*- सौर उर्जा का इस्तेमाल करें।
*- जब जरुरत ना हो तब घर की लाइट बंद रखें।
*-ड्रायर की जगह हवा में ही कपड़े सुखाने की कोशिश करें। इससे बिजली की बचत होगी।
*- कम से कम करें प्लास्टिक का इस्तेमाल।
*- कागज का सही तरीके से उपयोग करें जिससे कम से कम कागज का इस्तेमाल हो। इससे कम से कम पेड़ों को काटना पड़ेगा।
*- हवा को फ़िल्टर करने वाले ज्यादा से ज्यादा पौधे घर में लगायें, जैसे एलोवेरा, मनीप्लांट, स्नेक प्लांट।
*- नहाने की जगह गर्म पानी की बजाय ठंढे पानी का इस्तेमाल करें।