जिस कोर्ट में पिता थे चपरासी, बेटी वहीं बनेगी जज, लेकिन इस वजह से नहीं दे सकती खुशख़बरी
जिस कोर्ट में पिता ने सालों चपरासी की नौकरी की वहीं उसी कोर्ट में अब उनकी बेटी जज बनकर काम करेंगी लेकिन इसे नियति का खेल ही कह सकते हैं कि उस पिता को ये खुशखबरी नही दी जा सकती क्योंकि वे इस समय जिंदगी और मौत के बीच संधर्ष कर रहा है। साल 2013 में सिविल कोर्ट से चपरासी की नौकरी करते हुए रिटायर हो चुके जगदीश साह इस समय जवाहरलाल नेहरू भागलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हैं। इस समय उनके घरवाले चिंतित भी है तो वहीं खुश भी। चिंता में इसलिए है कि घर का मुख्या बीती 25 अक्तूबर से गंभीर बीमारी से पीड़ित है और आईसीयू में भर्ती है।
खुशी इस बात की है कि उसकी बेटी जूली न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा पास कर जज बन गई है। उसका रिजल्ट बुधवार को ही आया है। हालांकि इस खुशी की खबर को बेटी-बेटा और दूसरे घर वाले अभी उन्हें नहीं सुना सकते। डॉक्टरों ने उनसे बात करने से मना कर रखा है ।
पिता के अलावा नाते रिश्तेदारों से लेकर पूरा मोहल्ला शमिल है जूली की खुशी में
जूली कुमारी 29 वीं न्यायिक सेवा परीक्षा में सफल होने की खबर पाकर भागलपुर के मायागंज मोहल्ले में गली – गली में खुशी और चर्चा का माहौल है। जगदीश साह इसी मोहल्ले के वाशिंदें है। आस पड़ोस के लोगों का कहना है कि सचमुच जगदीश जब बेटी के जज बनने की खबर सुनेगा तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं होगा। भागलपुर के सिविल कोर्ट में चपरासी की नॉकरी करते बेटी को उसने जिस काबिल बनाया यह काबिले तारीफ है। घर परिवार में आस पड़ोस , रिश्तेदारों और वकीलों का बधाई देने के लिए तांता लगा है।
सिर्फ जब बन जाना ही जूली के लिए गर्व की बात नहीं है, बल्कि असली खुशी की बात तो ये है जूली उसी कोर्ट में जज के तौर पर फैसला सुनाएंगी, जहां उनके पिता चपरासी के तौर पर काम कर चुके हैं। तंगहाली के बावजूद बेटी को जज बनते देखने के पिता के सपने को जूली ने हर पल जिया और आज उस ख्वाब को पूरा कर दिखाया। मगर इस खुशी की घड़ी में जूली को अपने पिता की कमी खल रही है। क्योंकि हॉस्पिटल में भर्ती होने की वजह से उनके पिता को अपनी बेटी की कामयाबी का पता ही नहीं है।जूली के पिता को भागलपुर के जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।
शादी के बाद भी नही छोड़ा सपनों का दामन, पहली बार में पास की राज्य न्यायिक सेवा की परिक्षा
सरकारी स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद जूली ने में टीएनबी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। इस दौरान साल 2009 में जूली की शादी हो गई। मगर इसके बाद भी अपने पिता के सपने को पूरा करने की जिद कम नहीं हुई और जूली ने पहली बार में ही 29वीं बिहार ज्यूडिशियल सर्विस एक्जामिनेशन पास कर ली।
इस कामयाबी पर जूली काफी खुश हैं, मगर पिता का खराब सेहत को लेकर थोड़ी मायूस भी, क्योंकि वो अब तक अपने उस पिता को ये खबर नहीं सुना पाईं हैं, जिसका सपना वो सालों से देख रहे थे।