एनजीटी के आदेशों का उलंघन करके जमकर जलाई जा रही पंजाब में पराली, पर्यावरण खतरे में
जालंधर: पृथ्वी पर प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। प्रदूषण से होने वाले खतरे के बारे में जानते हुए भी लोग इसपर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण और नजर रखने के लिए कई संस्थाओं और विभागों का गठन भी किया गया है। भारत में भी प्रदूषण का स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की निगरानी और सरकारी तंत्र के तमाम प्रयासों के बाद भी पंजाब में जमकर पराली जलाई जा रही है।
पराली जलाने के अब तक दर्ज किये गए हैं 28030 मामले:
पंजाब के सीएम का जिला पटियाला के साथ मालवा क्षेत्र इस मामले में सबसे आगे है। जबकि दूसरी तरफ पराली जलाने के मामले में दोआब क्षेत्र सबसे कम रहा है। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के अनुसार इस सीजन में पंजाब में पराली जलाने के 1 नवम्बर तक 28030 मामले दर्ज किये गए हैं। केवल मालवा क्षेत्र के 14 जिलों से पराली में आग लगाने के 21894 मामले सामने आये हैं। माझा में 3572 एवं दोआब में 2564 मामले देखे गए हैं।
स्माग की वजह से पुरे दिन ढंग से दिखाई नहीं देता है सूरज:
पराली जलाने का असर साफ़-साफ़ देखा जा रहा है। इसका असर ना केवल पंजाब में होता है बल्कि आस-पास के इलाकों में भी देखने को मिलता है। पिछले एक सप्ताह से पंजाब में धुंध की चादर चढ़ी हुई है। स्माग होने की वजह से पुरे दिन ढंग से सूरज भी नहीं दिखाई देता है। बढ़ते प्रदूषण का नतीजा यह हो रहा है कि लोगों को आँखों में जलन और साँस सम्बन्धी बीमारियाँ हो रही हैं। यह हालत उस समय देखने को मिल रही है जब एनजीटी ने सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए निर्देश दिया था।
करना होगा कोई उचित प्रबंध:
सरकार ने किसानों पर सख्ती के लिए जिला स्तर पर टीमों का गठन किया। इसके बाद भी किसानों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। अभी भी पंजाब में जमकर पराली जलाई जा रही है। जब तक इसका कोई उचित प्रबंध नहीं किया जायेगा तब तक पुरे पंजाब के लिए एक गंभीर समस्या बनी रहेगी। पराली से निजात पाने के लिए ज्यादातर किसान उसमें आग लगाना ही बेहतर समझते हैं।