क्या धन और सफलता आपसे दूर भागती है, काम बनने से पहले बिगड़ जाते है? जानिये ऐसा क्यों होता है?
कई बार यह देखा जाता है कि व्यक्ति की जन्म कुंडली में सभी ग्रह अच्छे होते है फिर भी धन, सफलता और समृद्धि आपसे दूर भागती है. आपके जीवन में कोई प्रगति नहीं होती, कोई धन लाभ नहीं होता, जीवन में हमेशा परेशानी बनी हुई होती है और कोई भी काम करने में असफलता के डर से आपकी कोई दिलचस्पी नहीं होती है. कुंडली में सभी ग्रहों के अच्छा होंने के बावजूद जब ऐसा होता है तो इसका कारन होता है कुंडली दोष. कभी-कभी हमारी कुंडली में विभिन्न ग्रह दोष हो सकते है .
दोष का कारण है ग्रहों की चाल-
वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, दोष होने का सबसे बड़ा कारण ग्रहों की चाल होता है. ग्रह हमारे जीवन की गति को सुचारु रूप से चलाने के लिए उत्तरदायी होते है. लेकिन कभी-कभी ग्रहों की स्थिति ऐसी हो जाती है कि वो हमारी कुंडली में दोषों का कारण बन जाते है. हमारी कुंडली में दोषों के लिए जिम्मेवार ग्रह होते है – मंगल,शनि, राहु, मंगल गृह. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में अधिकत्तर दोष मंगल ग्रह के कारण ही उत्पन्न होते हैं. इसके अलावा बचे हुए दोषों के लिए शनि को 75% दोषों का, सूर्य को 50% और राहु को 25% दोषों के लिए जिम्मेदार माना जाता है.
निम्न कारणों से कुंडली में दोष होते है –
किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में जब कोई ग्रह नीच भाव में होना या पाप ग्रहों द्वारा सीधा कुंडली में दोष उत्पन्न करता है.
कभी-कभी कुंडली में दोष पूर्व जन्म के कर्मो द्वारा निर्धारित होते है.
जब कभी दो या दो से ज्यादा ग्रह मिलकर ऐसा योग बनाये जो व्यक्ति के लिए फलदायक नहो तो वो दोष का रूप ले लेते है.
दोषों को उत्पन्न करने वाले ग्रहों – राहु, केतु, मंगल कुंडली के कुछ घरों में मौजूद रहकर व्यक्ति को जीवन में परेशानियों को पैदा करते है.
कुछ ग्रह कुछ ऐसी परिस्थिति उत्पन्न करते है जो बुरी स्थिति को दर्शाते हैं.
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में बारहवें स्थान पर ग्रहों की नकारात्मक दशा चल रही हो.
जब कुछ अनिष्टकर ग्रह जैसे शनि, राहु, मंगल गृह मिलकर कुंडली में कुछ खास घरों में बैठे हों तो हमारी कुंडली के अच्छे फलों को प्रभावित कर दोष उत्पन्न कर अशुभ फल देते हैं.