क्या आप जानते हैं क्यों मनाई जाती है कार्तिक पूर्णिमा? नहीं तो यहाँ जाने पौराणिक कथा
हिन्दू धर्म में कई चीजों का महत्व होता है, वैसे ही हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का भी ख़ास महत्व होता है। हिंदी महीने के अनुसार जब महीना पूरा होता है तो वह पूर्णिमा कहलाता है, यानि महीने का आखिरी दिन। हिन्दू धर्म में हर साल कुल 12 पुर्निमाएं होती हैं। इसी में से कार्तिक महीने में आने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान की पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा इस लिए कहते हैं क्योंकि आज ही के दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक असुर का अंत किया था।
कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन हुआ था गुरुनानक देव का जन्म:
इसके बाद से ही भगवान शंकर त्रिपुरारी के रूप में पूजे जाने लगे। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुरे साल स्नान करने का फल एक ही बार मिल जाता है। सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन पप्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक जी का जन्म हुआ था। इस दिन को गुरु पर्व भी कहा जाता है। इसी तरह कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन बैकुंठ धाम में देवी तुलसी प्रकट हुई थीं।
गणेश के विजयी होने पर हो गए थे कार्तिकेय क्रोधित:
कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन देवी तुलसी पृथ्वी पर प्रकट हुई थींकार्तिक पूर्णिमा के ही दिन भगवान विष्णु ने प्रलय काल में वेदों और श्रृष्टि की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था। इसी तरह भगवान शानाक्र और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय से जुडी हुई भी एक कथा है, जो कर्किक पूर्णिमा के दिन उनकी पूजा के महत्व का वर्णन करती है। कथा के अनुसार जब प्रथम पूज्य देवता के रूप में कार्तिकेय के छोटे भाई गणेश को विजयी घोषित कर दिया गया तो कार्तिकेय काफी नाराज हुए और साधना करने वन चले गए।
कार्तिकेय पूर्णिमा पर उनका दर्शन होगा महा फलदायी:
जब शिव और पार्वती उन्हें मनाने गए तो उन्होंतने क्रोध में शाप दिया कि यदि कोई स्त्रीा उनके दर्शन करने आयेगी तो तो वो सात जन्मए तक वैध्य्न भोगेगी और यदि किसी पुरुष ने ऐसा करने का प्रयास किया तो वो मृत्युन के बाद नरक जायेगा। बाद में किसी तरह महादेव और देवी ने उनका क्रोध शांत किया और उनसे कहा कि कोई एक दिन तो उनके दर्शन के लिए होना चाहिए, तब कार्तिकेय ने कहा कार्तिक पूर्णिमा पर उनका दर्शन महा फलदायी होगा।
साल में एक दिन के लिए खोले जाते हैं मंदिर के द्वार:
इसलिए साल में एक ही दिन कार्तिकेय दर्शन देते हैं। ग्वालियर में उनका एक मंदिर भी है। यह मंदिर 400 साल पुँराना है और इस मंदिर को केवल साल में एक बार पूजा के लिए कार्तिक पूर्णिमा ने दिन खोला जाता है। गले दिन सुबह उसे स्नान पूजा के बाद बंद एक साल के लिए कर दिया जाता है।