यहां प्रकट हुई थीं मां दुर्गा, आज भी होते हैं ऐसे चमत्कार जिससे विज्ञान भी हैरान
देश में कई शक्ति पीठ है, जो ज्यादातर ऊंचे पहाड़ों में है। लेकिन आखिर क्या वजह है की इन शक्ति पीठों पर जाने वाला आदमी बिना किसी थकान के सैकड़ों सीढ़ियां आसानी से चढ़ जाता है। कोई इसे दैवीय शक्ति कहता है तो वैज्ञानिक वहीं इसके पीछे के कारणों को तलाशने में जुटे हैं. ताजा उदाहरण है, उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित कसारदेवी मंदिर की ‘असीम’ शक्ति से नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। दुनिया में तीन पर्यटक स्थल ऐसे हैं जहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो होते ही हैं, साथ ही मानसिक शांति भी महसूस होती है।
कात्यायनी के रूप में लिया अवतार
इस मंदिर के लिए ये भी मान्यताएं प्रचलित हैं कि यहां आने वाले भक्त इस मंदिर तक पहुंचने वाली सैकडों सीढियों पर बिना किसी थकान के चढ़ जाते हैं। इस मंदिर के लिए मान्यता है कि ढाई हजार वर्ष पहले मां दुर्गा ने शुंभ और निशुंभ नामक दो राक्षसों को मारने के लिए कात्यायनी रुप में अवतार लिया था। इसके बाद से इस स्थान की मान्यता मां कासरी देवी मंदिर के रुप में मानी जाती है।
कसार देवी का मंदिर अल्मोड़ा शहर से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये मंदिर कसाय पर्वत पर स्थित है। पर्यावरण की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार इस मंदिर के आसपास का क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है। इसलिए यहां चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं जो ध्यान और तप के लिए उत्तम जगह होती है। इस जगह स्वामी विवेकानंद ने भी ध्यान किया था और ज्ञान की प्राप्ति की थी।
स्वामी विवेकानंद की है तपोभूमि
स्वामी विवेकानंद ने 11 मई 1897 को अल्मोड़ा के खजांची बाजार में जन समूह को संबोधित करते हुए कहा था कि यह हमारे पूर्वजों के स्वप्न का देश है। भारत जननी श्री पार्वती की जन्म भूमि है। मेरे मन में इस समय हिमालय में एक केंद्र स्थापित करने का विचार है। संबोधन में आगे कहा कि यह केंद्र केवल कर्म प्रधान न होगा, बल्कि यहीं निस्तब्धता, ध्यान तथा शांति की प्रधानता होगी। स्वामी विवेकानंद के शिष्य स्वामी तुरियानंद और स्वामी शिवानंद ने अल्मोड़ा में ब्राइटएंड कार्नर पर एक केंद्र की स्थापना कराई, जो आज रामकृष्ण कुटीर नाम से जाना जाता है।
नासा के वैज्ञानिक कर चुके हैं शोध
कसार देवी मंदिर के आस-पास का पूरा क्षेत्र हिमालयी के वन और अद्भुत नजारे से घिरा हुआ है। बड़ी संख्या में देशी पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटक भी यहां आते हैं। बिनसर और आस-पास तमाम विदेशी पर्यटक रोजाना भ्रमण करते दिखाई भी पड़ते हैं। कुछ लोग बताते हैं कि बड़ी संख्या में विदेशी साधकों ने अस्थाई ठिकाना भी यहां बना लिया है। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तराखंड में अल्मोड़ा स्थित कसार देवी शक्तिपीठ, दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग अदभुत चुंबकीय शक्ति के केंद्र हैं। इन तीनों जगहों पर चुंबकीय शक्ति का विशेष पुंज है। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूप से इन तीनों जगहों के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे हैं।