आखिरकार कौन होगा दिल्ली का मालिक? सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आज से शुरू करेगी इसपर सुनवाई
नई दिल्ली: आप तो जानते ही हैं कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अधिकार को लेकर लम्बे से विवाद चल रहा है। अब यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुँचा है। दिल्ली की गद्दी पर तत्कालीन सवाल आम आदमी पार्टी सर्कार की याचिका पर आज से सुप्रीम कोर्ट की सविधान पीठ सुनवाई करेगी। केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उच्च न्यायालय ने कहा था कि दिल्ली के उप राज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक मालिक होंगे।
मामला सुलझाने के लिए भेज दिया पाँच जजों की पीठ को:
पिछले साल फैसला आने के बाद से दिल्ली सरकार ने एलजी की शक्तियों पर दिए गए उच्च न्यायलय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जानें का मन बना लिया था। इसके बाद 4 अगस्त 2016 के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायधीशों की पीठ ने इस मामले को अहम संवैधानिक मुद्दा शामिल होने के आधार पर इसे सुलझाने के लिए पंच जजों की पीठ को भेज दिया था।
केजरीवाल सरकार को लगा था काफी झटका:
आपको बता दें दिल्ली एक केंद्रशासित राज्य है। यहाँ पर मुख्मंत्री का चुनाव तो होता है लेकिन कुछ चीजों पर मुख्यमंत्री का नियंत्रण नहीं होता है। उनका नियंत्रण केंद्र ही करता है। दिल्ली पुलिस पर दिल्ली सरकार का नहीं बल्कि केंद्र का नियंत्रण है। पिछले साल उच्च न्यायालय ने दिल्ली के उपराज्यपाल को ही दिल्ली का मुखिया बताया था। इससे केजरीवाल सरकार को काफी झटका लगा था। तभी उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
उपराज्यपाल ही होंगे दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख:
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि उपराज्यपाल ही प्रशासनिक प्रमुख होंगे और बिना उनकी मर्जी के सरकार कोई भी कानून नहीं बना सकती है। कोर्ट के अनुसार 239 AA दिल्ली को केन्द्रशासित प्रदेश का विशेष स्टेटस देता है। फैसले में यह भी कहा गया था कि एलजी दिल्ली सरकार की कोई भी सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। केंद्र के नोटिफिकेशन सही हैं। दिल्ली सरकार के कमिटी बनाने सम्बन्धी फैसले गलत हैं।