इस मंदिर में 15 दिन तक लड़के लड़कियों को रखा जाता है बिना कपड़ों के साथ, वजह उड़ा देगी होश
भारत रीति रिवाजों और मान्यतायों का देश है. यहाँ धर्म के नाम पर लोग ऐसे ऐसे भ्रमों में उलझे हुए हैं, जिन्हें कोई सपने में भी नहीं सोच सकता. अभी हाल ही में एक खबर वायरल हुई थी जिसके अनुसार साउथ के कर्नूल में एक ऐसा गाँव है, जहाँ मर्द देर रात तक एक दुसरे को लात मारते रहते हैं. ऐसे भी और कई अन्य स्थान हैं जहाँ धर्म के नाम पर ऐसे ऐसे काण्ड किये जाते हैं, जो हम आम इंसानों की सोच से बिलकुल परे हैं. हमारा मकसद किसी की भावनायों को ठेस पहुँचाना नहीं है. लेकिन, फिर भी जब हम ऐसे काम देखते हैं तो मन में एक सवाल आ जाता है कि, “आखिर यार ये क्या हो रहा है?”.
अभी हाल ही में नवरात्रि की पूजा की गयी थी. जिसको दुर्गा पूजन भी कहा जाता है. लेकिन, इस पूजन के नाम पर भी लोग ऐसे काम कर रहे हैं जिनको हम सोच भी नहीं सकते. कुछ ऐसा ही मामला हाल ही में हमारे सामने आया है. जहाँ एक मंदिर में पुरषों और स्त्रीयों को 15 दिन तक साथ रहने को मजबूर किया जाता है. वो भी बिना वजह के. आखिर इस बात का हमारे धर्म से क्या सम्बन्ध है? चलिए जानते हैं पूरी कहानी आखिर क्या है…
तमिलनाडु की है ये घटना
आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि ये घटना तमिलनाडु के मदुरै मंदिर की है. इस मंदिर को देखने दूर दूर देशों से यात्रु आते हैं. तमिलनाडु के वेल्लोर में स्थित ‘Yezaikatha Amman‘ नामक मंदिर इन दिनों सुर्ख़ियों में बना हुआ है. दरअसल यहाँ एक अजीबो गरीब नियम बनाया गया है जिसको सुन आपके होश उड़ जायेंगे.पकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि इस सकारात्मक घटना में आस पास के कईं गाँव शामिल होते हैं. इस दौरान इन गाँव में से 7 लड़कियों कोउनकर देवी बनाया जाताइ और उनके शरीर पर 15 दिनों तक कोई कपड़ा नहीं पहनाया जाता.
फूलों के जेवर पहनाये जाते हैं लड़कियों को
रिपोर्ट के अनुसार इन साथ लड़कियों को कपड़ो की जगह फूलों की माला एवं जेवरात पहनाये जाते हैं. इनको मंदिर में 15 दिन तक बंद रखा जाता है. और इन सबकी देखभाल मंदिर का ही एक पुजारी करता है. इस काम में बहुत सारे लोग हिस्सा लेते हैं. इसके लिए लड़कियों की ख़ास उम्र तह की गयी होती है. 10 से 14 साल की उम्र की लड़कियों को ही चुना जाता है. चुनने के लिए सबसे पहले इन्हें कुछ पड़ाव पार करने होते हैं. एक प्रोफेस्सर के अनुसार पहले इस प्रथा में 6 से 7 साल की लड़कियों को चुना जाता था. और वह मंदिर के अंदर सोया करती थी और पुजारी जी बाहर.
कपड़े पहनने का दिया गया है आदेश
एक इंटरव्यू के दौरान कलेक्टर के.वीरा. राघव राव ने बताया कि ये प्रथा वहां कईं सालो से चलती आ रही है. बालक वहां अपनी और माँ बाप की इच्छा से ही आते हैं. लेकिन अब कोर्ट ने इन्हें आदेश दिया है कि लड़कियों को कपड़े पह्ननाने जरूरी है. वह चाहे तो कपड़ों के उपर से जेवर पहन सकती हैं. क्यों कि चाइल्ड राइट्स के अनुसार बिना कपड़ों के वहां रहना बड़े होकर उन बचियों के लिए गलत साबित हो सकता है.
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