ये हैं भारत के 5 सबसे ख़तरनाक डाकू जिनसे पुलिस भी कांपती थी, कहानी ऐसी की रोंगटे खड़े हो जाएं
आज के दौर में डाकू सिर्फ फिल्मों और कहानियों में देखने को मिलते हैं. लेकिन एक ऐसा दौरा था जब डाकुओं का एक छत्र राज्य चला करता था. चंबल के बीहड़ों में डाकुओं का आतंक हर तरफ़ फैला था. इन डाकुओं ने सैकड़ों हत्याएं और लूट की वारदतों को अंजाम दिया. आज हम आपको देश के कुछ ऐसे ही डाकुओं के बार में बताने जा रहे हैं, जिनसे सिर्फ गांव वाले ही नहीं बल्कि पुलिस भी डरती थी.
मान सिंह
आगरा में जन्मे डाकू मान सिंह को लोग रोबिन हुड मानते थे. वह अमीरों से पैसे लूटता था और गरीबों में बांट देता था. कहा जाता है कि डाकू मान सिंह ने कभी किसी औरत, गरीब और बच्चे को हाथ तक नहीं लगाया. वह सिर्फ अमीरों को ही लूटता था. इस डाकू की मौत 1955 में एक पुलिस एनकाउंटर में हुई थी.
वीरप्पन
वीरप्पन बहुत खतरनाक डाकू था जिसका केरल और तमिलनाडू के जंगलों में पूरा दबदबा था. वीरप्पन ने 1970 से अपने अपराधिक जीवन की शुरुवात की और 1972 में पहली बार उसे गिरफ्तार किया गया था. वीरप्पन ने चंदन की लकड़ियों और हाथी के दांतों की तस्करी शुरू कर दी. बाद में वह उन लोगों को भी मारने लगा जो उसके अपराधिक कामों के बीच में आता था. वीरप्पन के ऊपर 920000$ का इनाम भी रखा गया था. 2014 में हुए पुलिस एनकाउंटर में उसकी मौत हो गयी थी.
निर्भय सिंह गुज्जर
निर्भय सिंह गुज्जर चंबल के आखिरी बड़े डाकुओं में से एक था. निर्भय सिंह गुज्जर के गुट में कुल 70 से लेकर 75 डकैत थे, जो AK 47 जैसी राइफलों से लैस थे. इनके पास नाईट विज़न दूरबीन, बुलेट प्रूफ जैकेट और ढेर सारे मोबाइल फ़ोन भी मौजूद थे. सन 2005 में पुलिस के बंदूक की गोली द्वारा निर्भय सिंह गुज्जर की मौत हो गई.
सुल्ताना डाकू
सुल्ताना डाकू गरीब लोगों का मसीहा था. लेकिन इसकी दहशत से कोई इसके सामने सिर भी नहीं उठा सकता था. अमीर लोगों को लूट कर यह ग़रीबों की मदद करता था. सुल्ताना डाकू को ब्रिटिश सरकार ने नजीबाबाद में फांसी भी दे दी थी।
फूलन देवी
फूलन देवी की जिंदगी पर कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में बन चुकी है. फूलन देवी 1980 के दशक के शुरुआत में चंबल के बीहड़ों में सबसे ख़तरनाक डाकू मानी जाती थीं. फूलन देवी के डकैत बनने की कहानी किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकती है. इनके साथ कई बार ऊंची बिरादरी के लोगों ने बलात्कार किया और इन्हें खूब मारा पीटा. इस वजह से सिस्टम के खिलाफ लड़ने के लिए फूलन देवी ने बंदूक उठाई और डाकू बन गईं. फूलन देवी की हत्या साल 2011 में एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा कर दी गयी थी.