शिया बफ्फ़ बोर्ड के चेयरमैन से आज राम मंदिर मुद्दे पर करेंगे श्री श्री रविशंकर मुलाकात
अयोध्या: राम मंदिर मा मुद्दा आज से नहीं बल्कि काफी समय से देश का एक अहम मुद्दा बना हुआ है। अयोध्या में उस जगह एक तारफ हिन्दू अपना दावा करते हैं तो दूसरी तरफ मुस्लिम अपना दावा करते हैं। इस वजह से कई बार इसे लेकर देश में दंगे की स्थिति भी बन चुकी है। हालांकि अब दोनों ही पक्ष इस मुद्दे को शांति से सुलझाना चाहते हैं। राम मंदिर मुद्दे को सुलझाने के लिए अध्यात्मिक गुरु श्री-श्री रविशंकर की तरफ से मध्यस्थता की पहल की गयी है।
दिखा सकें दोनों समुदायों के लोग आपसी भाईचारा:
इसी सिलसिले में आज वह शिया बफ्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी से मुकालात करेंगे। गौरतलब हो कि शिया बफ्फ़ बोर्ड ने हाल ही में राम मंदिर के लिए 10 चाँदी के तीर देने का ऐलान किया था। जानकारी के लिए आपको बता दें कि मध्यस्थता के पहल की शुरुआत करते हुए श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि, एक ऐसे मंच की जरुरत हैं, जहाँ दोनों समुदायों के लोग अपने बीच आपसी भाईचारा दिखा सकें।“
उनका यह प्रयास है पूरी तरह से अराजनीतिक:
ऐसी ही एक कोशिश 2003-04 में भी की थी, लेकिन अब हालत बदल चुके हैं। अब दोनों ही पक्षों के लोग शांति की चाहत रखते हैं। उन्होंने यह भी साफ़-साफ़ कहा कि यह प्रयास वह स्वयं ही कर रहे हैं, इसके पीछे कोई राजनीतिक लाभ नहीं है। उनका यह प्रयास पूरी तरफ से अराजनीतिक है। राम मंदिर आन्दोलन से पहले से ही जुड़े रहे बीजेपी के पूर्व सांसद राम विलास वेदांती ने श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
मध्यस्थता का अवसर मिलना चाहिए विहिप और राम जन्मभूमि न्यास को:
वेदांती ने कहा था कि किसी भी कीमत पर श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया जायेगा। राम जन्मभूमि को लेकर आन्दोलन राम जन्मभूमि न्यास और विश्व हिन्दू परिषद् ने लड़ा है, इसलिए मध्यस्थता का अवसर भी इन्ही दोनों संगठनों को मिलन चाहिए। राज्य में योगी सरकार के आनें के बाद से एक बार फिर से राम मंदिर मुद्दा गरमाया हुआ है। इस बार सीएम योगी ने छोटी दिवाली अयोध्या में मनाकर यह सन्देश भी दिया है कि जल्द ही राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा।