अध्यात्म

जानिए कौन है वो शालिग्राम? जिससे होता है तुलसी का विवाह,घर में शालिग्राम रखने के लाभ

आज देवउठनी एकादशी का पर्व है.. मान्यता है कि इस दिन जगत के पालनकर्ता भगवान श्री विष्णु अपनी शयन निद्रा से जाग्रत होते हैं और सृष्टि का कार्यभार पुन: संभालते हैं, साथ ही इसी दिन परम सती भगवती स्वरूपा मां तुलसी से उनका विवाह होता है। कहीं-कहीं पर श्री शालिग्राम और तुलसी का विवाह होता है। पर यह शालिग्राम आखिर कौन है, क्या आप जानते हैं इस बारे में। आज देवउठनी एकादशी पर्व के मौके पर हम आपको शालिग्राम का महत्व, उसकी पौराणिक मान्यता और उसे घर में रखने के लाभ के बारे में बता रहे हैं।

भगवान शालिग्राम श्री नारायण का साक्षात् और स्वयंभू स्वरुप माने जाते हैं। स्वयंभू होने के कारण इनकी भी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती और भक्त जन इन्हें घर अथवा मन्दिर में सीधे ही पूज सकते हैं।

इस वजह से भगवान विष्णु को बनना पड़ा पत्थर

श्रीमद्भगवत पुराण के अनुसार एक बार सृष्टि के कल्याण के उद्देश्य से भगवान विष्णु ने राजा जालंधर की पत्नी वृंदा के सतीत्व को भंग कर दिया। इस पर सती वृंदा ने उन्हें श्राप दे दिया और भगवान विष्णु पत्थर बन गए, जिस कारणवश प्रभु को शालिग्राम भी कहा जाता है और भक्तगण इस रूप में भी उनकी पूजा करते हैं। इसी श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु को अपने शालिग्राम स्वरूप में तुलसी से विवाह करना पड़ा था और उसी समय से तुलसी विवाह का यह अनूठा रस्म प्रत्येक साल मनाया जाता है।

ऐसा होता है शालिग्राम पत्थर का स्वरूप

शालिग्राम नेपाल में गंडकी नदी के तल में पाए जाने वाले काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर को कहते हैं। ये भिन्न भिन्न रूपों में प्राप्त होते हैं.. कुछ मात्र अंडाकार होते हैं तो कुछ में एक छिद्र होता है तथा पत्थर के अंदर शंख, चक्र, गदा या पद्म खुदे होते हैं। कुछ पत्थरों पर सफेद रंग की गोल धारियां चक्र के समान होती हैं। दुर्लभ रूप से कभी कभी पीताभ युक्त शालिग्राम भी प्राप्त होते हैं।शालिग्राम एक विलक्षण व मूल्यवान पत्थर है और इसे बहुत सहेज कर रखना चाहिए क्योंकि मान्यता है कि शालिग्राम के भीतर अल्प मात्रा में स्वर्ण भी होता है जिसे प्राप्त करने के लिए चोर इन्हें चुरा लेते हैं।

घर में शालिग्राम रखने के लाभ

पुराणों में कहा गया है कि जिस घर में भगवान शालिग्राम हो, वह घर समस्त तीर्थों से भी श्रेष्ठ है।इसके साथ ही इनसे निम्न प्रकार से भी लाभ मिलता है ..

1 प्रतिदिन श्री शालिग्राम जी को स्नान कराकर चन्दन लगाकर तुलसी दल अर्पित करने और चरणामृत ग्रहण करने से मन, धन व तन की सारी कमजोरियों व दोषों को दूर करने वाला माना गया है।

2 श्री शालिग्राम और भगवती स्वरूपा तुलसी का विवाह करने से सारे अभाव, कलह, पाप ,दुःख और रोग दूर हो जाते हैं।

3 तुलसी शालिग्राम विवाह करवाने से वही पुण्य फल प्राप्त होता है जो कन्यादान करने से मिलता है।

4 पौराणिक मान्यता के अनुसार शालिग्राम शिला का जल जो अपने ऊपर छिड़कने से समस्त यज्ञों और संपूर्ण तीर्थों में स्नान के समान फल मिलता है।

5 इनके दर्शन व पूजन से समस्त भोगों का सुख मिलता है।

6 मृत्युकाल में इनके चरणामृत का जलपान करने वाला समस्त पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक चला जाता है।

7 जिस घर में शालिग्राम का नित्य पूजन होता है उसमें वास्तु दोष और बाधाएं स्वतः समाप्त हो जाती है।

 

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