इन लक्षणों से शनि देव देते हैं आने वाले बुरे दिनों के संकेत, पहचानिये शनिदेव के इन संकेतों को
जब इंसान का समय बुरा हो तो उसके साथ सब बुरा ही होता है. वक़्त बुरा होने पर शायद आपके साथ कुछ इतना बुरा हो जिसकी कल्पना आपने कभी की भी न हो. बुरे की कल्पना कोई करना भी नहीं चाहता है. हमेशा लोग चाहते हैं कि उनके साथ अच्छा ही हो. बुरा होने का ख्याल सबको डराता है. लेकिन बुरा कभी भी और किसी के साथ भी हो सकता है. यह किसी विशेष व्यक्ति को चुनकर उसके पास नहीं आता. बुरा समय वह नहीं जो एक बड़े स्तर पर आपकी ज़िंदगी बदलकर रख दे परंतु बुरा समय वह है जो आपको धीरे-धेरे उदास रहने पर मजबूर कर दे. बुरे समय में कुछ समझ नहीं आता. अच्छी सलाह भी वैसे ही असर नहीं करती जैसे मृत्यु के समय में रोगी को दवा नहीं करती.
आमतौर पर कहा जाता है कि शनि एक राशि पर ढाई साल के लिए रहते हैं. जिस राशि में शनि प्रवेश करते हैं उस राशि में वह उससे पहले और बाद राशि वाले व्यक्ति को अधिक प्रभावित करते हैं. मान लीजिये आपकी राशि धनु है, तो उसके पहले और बाद वाली राशियां मकर और वृश्चिक हैं. धनु इन दोनों राशियों के बीच में आता है, इसलिए शनि के साढ़े साती का असर केवल धनु पर नहीं बल्कि मकर और वृश्चिक पर भी पड़ेगा. प्रकृति भी शनि के शुभ-अशुभ प्रभाव के लक्षण व्यक्ति को ज़रूर देती है. ज्योतिष के सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार व्यक्ति को अच्छे या बुरे दिन शुरू होने से पहले कुछ संकेत मिलते हैं. आज हम बात करेंगे बुरे दिन आने पर शनि देव से मिलने वाले संकेतों की.
ढैय्या या साढ़ेसाती के लक्षण
- प्रॉपर्टी संबंधित विवाद
- भाईयों से विवाद और परिवार के सदस्यों के साथ मनमुटाव
- अनैतिक संबंधों में फंसना या किसी अवैध संबंध की तरफ झुकाव
- बहुत ज़्यादा कर्ज़ होना और उसे उतारने में असमर्थ होना
- कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाना
- किसी अच्छी जगह से अनचाही जगह पोस्टिंग
- प्रमोशन में बाधा
- हर समय झूठ का सहारा लेना
- जुए की लत लगना
- व्यापार या व्यवसाय में मंदी आना
- नौकरी से निकाला जाना
- नशे की बुरी लत लगना
उपाय
पीपल के पेड़ की विधि-विधान पूजा करें. शनिवार के दिन पेड़ की पूजा करने पर अच्छा फल प्राप्त होता है. हालांकि यह पूजा आप रविवार को छोड़कर किसी भी दिन कर सकते हैं. पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले जागें. स्नान कर लें. इसके बाद सफ़ेद वस्त्र धारण कर किसी ऐसे स्थान पर जाएं जहां पीपल का पेड़ हो. पीपल की जड़ में गाय का दूध, तिल और चंदन मिला कर पवित्र जल अर्पित करें. जल अर्पित करने के बाद जनेऊ, फूल और प्रसाद चढ़ाएं. तनावमुक्त होकर पूजा करें. धूप, दीप जलाकर आसन पर बैठकर अपने ईष्ट देवी-देवताओं का स्मरण करते हुए इस मंत्र का जाप करें.
मूलतो ब्रह्मारूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे I
अग्रतः शिवरूपाय वृक्ष राजाय ते नमः II
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसंपदम् I
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत: II
मंत्र जप के बाद कपूर और लौंग जलाकर आरती करें और फिर प्रसाद ग्रहण करें. प्रसाद में मिठाई या शक्कर चढ़ा सकते हैं. पीपल के जड़ में अर्पित थोड़ा सा जल घर ले आयें और उसे सारे घर में छिडकें. यदि आप इस प्रकार पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं तो शनि की साढ़े साती या ढैय्या से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है.