यहाँ हुई थी माँ सीता की अग्नि परीक्षा, आज भी यहाँ की पूरी मिट्टी है काली – देखिए वीडियो
रामायण हिन्दु धर्म का एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें भगवान राम और माता सीता का वर्णन मिलता है। आज हर कोई श्री राम का नाम लेते है और मोक्ष को प्राप्त करता है। वैसे तो रामायण में भगवान राम के कई किस्सों का वर्णन है, लेकिन सबसे ज्यादा दुखदायी माँ सीता का हरण और फिर उनका अंत में अग्नि परीक्षा देने के बाद धरती मे समा जाना ही है। Story of sita ammaa temple.
ऐसा है माता सीता का मंदिर
माँ सीता अम्मा मंदिर श्रीलंका में बना हुआ है। जिस तरह भगवान राम भारत के लोगों के लिए पूज्य हैं उसी तरह उसी तरह माँ श्रीलंका में पूज्य है। माँ सीता का यह मंदिर श्रीलंका में एक पहाड़ी पर बना है। खास बात ये है कि माँ सीता के मंदिर के अलावा यहाँ कई और मंदिर और लेकिन सिर्फ माँ सीता के मंदिर के आसपास बहुत अधिक वानर आज भी पहरा देते नजर आते हैं।
मौजूद हैं महाबली हनुमान के पैरों के निशान
कुछ ऐसी भी बातें करते हैं कि माँ सीता के मंदिर के पीछे एक चट्टान पर महाबली हनुमान के पैरों के निशान हैं। यहाँ एक चौकाने वाली बात ये है कि मंदिर के पास ही एक बेहद खास किस्म का अशोक का पेड़ है। रामायण के अनुसार, रावण की अशोक वाटिका नुवारा एलिया के घुमावदार ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के बीच घनी हरियाली में स्थित है, यहीं बाहर पर रावण ने माँ सीता का हरण करके बंदी बनाकर रखा था।
यहाँ स्थित है माँ सीता का मंदिर
यह मंदिर श्रीलंका के देवुरुम वेला नाम की जगह में स्थित है, ऐसा कहा कहा जाता है कि यहीं माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी। माता सीता के अग्नि परीक्षा देने के कारण जलने वाली अग्नि से यहां की मिट्टी काली राख की परत जैसी हो गई है। इस मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर अंत तक हनुमान के विभिन्न वीर योद्धा मंदिर की रक्षा करते हैं। श्रीलंका में हर महीने माँ कि पूजा का एक दिन निश्चित है। इस दिन सीता अम्मा मंदिर में भारी संख्या में लोग माँ के दर्शन करने आते हैं।
क्यों हुई माँ सीता कि अग्नि परीक्षा?
रामायण के सबसे विवादित प्रसंग के अनुसार, रावण का संहार करके और सीता माँ को लेकर जब अयोध्या वापस आए तो उन्हें सीता की पवित्रता पर संदेह हुआ और उन्होंने माँ सीता को पुनः स्वीकार करने से मना कर दिया। अपनी पवित्रता को साबित करने साक्षी देने के लिए के लिए उन्हें अग्नि परीक्षा देनी पड़ी। हालांकि, अग्नि देव ने उन्हें बचा लिया और वह आग से जले बिना वापस लौट आईं। जिसके बाद स्वर्ग से सभी देवता राम को सीता की पवित्रता का प्रमाण देने आए। जिसके बाद भगवान राम ने सीता को वापस स्वीकार कर लिया।