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इन 3 मोड़ों पर अक्सर लोग बोलते हैं झूठ, जानिये और संभल जाएँ

बचपन से ही हमें हमेशा यही सिखाया जाता रहा है कि ईमानदारी सबसे अच्छी नीति होती है. ईमानदारी हमेशा आपको सहायता करती है. हम हमेशा सत्य को बताने की कोशिश करते है लेकिन कभी-कभी सच्चा होना सही साबित नहीं होता. कभी-कभी हम सत्य बोलने या ईमानदार बनकर किसी की भावनाओं को ठेस पंहुचा देते है. कभी-कभी किसी की सुरक्षा के लिए या किसी आपसी बहस और संघर्ष को रोकने के लिए पूर्ण सच्चाई बताने से बचते हैं या झूठ भी बोल देते है. ऐसे में हमारे जेहन में प्रश्न उठता है कि क्या हमने सही किया? कहीं हमने असत्य कहकर कुछ अनुचित तो नहीं किया?

ईमानदारी-

ईमानदारी एक ऐसा अकेला शब्द है जिसके कई मायने हैं. इसके कई कारण है – वास्तव में कोई भी आपसे यह सुनना नहीं चाहता कि आप क्या सोचते है. वे वही सुनना चाहते हैं जो वो सोचते हैं. ज्यादातर समय लोग सिर्फ अच्छी बातें सुनना चाहते हैं या ऐसी चीजें जो सुविधाजनक हैं. आप ईमानदार इसलिए रहना चाहते है क्योंकि आप अपने आप से झूठ नहीं कह सकते.  यदि लोग हर समय ईमानदार होते दुनिया में कोई भी चीज़ बेच पाना असंभव हो सकता है जैसे फेयर एंड लवली वाले आपको सात दिनों में गोरा करने का दावा करते है. काश यह बात सत्य होती.

तीन घटनाएं- जब व्यकि्त नहीं बोलता सच-

कभी ना कभी हम सभी ने हमारे जीवन में एक बार तो झूठ बोला होगा या फिर सत्य को स्पष्ट रूप से से नहीं कहा होगा. उदाहरण के लिए तीन घटनाएं ऐसी है जिसमें हर इंसान झूठ बोलने या आधा सच बोलने या स्पष्ट रूप से सत्य न बोलने पर मज़बूर हो जायेगा.

पहला पक्ष- जब कभी छोटे बच्चे आपसे ऐसा कुछ पूछ बैठे जिसमें सत्य आप बता नहीं सकते क्यूंकि उनका मन उस बात  को मानेगा नहीं और उनके मासूम और नासमझ मन को आप समझा नहीं सकते. उनके बचपन की कल्पनाओं को पंख देने के लिए कभी-कभी असत्य या कल्पनाओं का सहारा लेना पड़ता है जैसे फेयरी और सांता क्लॉज के बारे में वो जानने को बहुत अधिक उत्सुक रहते हैं. हम बच्चों के बचपन की कल्पनाओं को सत्य बताकर नष्ट या निराश नहीं करना चाहते हैं.

दूसरा पक्ष- जब कोई बीमार होता है और अस्पताल में भर्ती होता है तो उसके नकारात्मक विचारों को ना बताना बेहतर होता है. नकारात्मक विचारों से व्यक्ति के बीमारी से लड़ने की ताकत कम होती है और ऐसे में रोगी की चेतना को सत्य बताकर मारने से अच्छा होता है कि आप झूठ का सहारा ले.

तीसरा पक्ष- जब कभी एक पत्नी अपने पति से यह सवाल करें कि क्या वह बहुत मोटी हो रही है. वो समय एक पति के लिए पत्नी के साथ संघर्ष और तर्क से बचने के लिए एक ही रास्ता होता है और वो होता है झूठ बोलना या सत्य को स्पष्ट न करना.

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