पूजा के दौरान बिंदी के इस्तेमाल से नही मिलता प्रार्थना का फल, ये है वजह
बिंदी का हिन्दु धर्म में विशेष महत्व है.. इसे सुहाग की निशानी के साथ साथ सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है.. पर इसके साथ ही एक ध्यान रखने वाली बात ये है कि पूजा के दौरान बिंदी का प्रयोग व्यवधान उत्पन्न करता है । इसलिए पूजा करते समय इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए। असल में इसके पीछे बेहद व्यवहारिक तर्क है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
प्रार्थना के दौरान अवरोध उत्पन्न करती है बिंदी
दरअसल बिंदी भौंहों के बीच जहां लगाई जाती है वो स्थान योग में आज्ञा चक्र के अंतर्गत आता है और शरीर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। आपके ध्यान केंद्रण और आध्यात्मिक सोच के लिए यही चक्र जिम्मेदार होता है। वास्तव में ये नाड़ियां आपकी सिक्स सेंस या छठी इंद्रीयों से जुड़ी होती हैं जो आपको ब्रह्मांड से जोड़ती हैं और इस चक्र के अवरुद्ध होने से आप ब्रह्मांडीय शक्तियों या कहें ब्र्ह्मांडीय ऊर्जाओं से जुड़ नहीं पाते हैं जबकि यही वह चीज है जो आपको सामान्य जीवन से अलग अलौकिक शक्ति की अनुभूति देता है।
लेकिन बिंदी के लगे होने पर आपका आज्ञा चक्र अवरुद्ध हो जाता है और फिर आप जब पूजा के दौरान ध्यान में होती हैं तो आपका ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ाव नहीं हो पाता। इस प्रकार पूजा करने से जो अलौकिक ऊर्जा व्यक्ति को मिलती है और जिस आध्यात्मिकता का विकास होता है वह आपमें नहीं हो पाता। इस प्रकार पूजा का फल आपको नहीं मिल पाता।
इसलिए कोशिश करें कि पूजा के दौरान बिंदी ना लगाएं। त्यौहारों के दौरान या पूजा की तैयारी में आप भले ही इसे लगा लें लेकिन पूजा या ध्यान में बैठने के दौरान इसे निकाल दें। बाद में फिर चाहें लगा ही क्यों ना लें।
कुमकुम और चंदन का टीका कर सकते हैं प्रयोग
आप सोच रहे होंगो कि आखिर क्यों पूजा के दौरान क्यों बिंदी का प्रयोग नही करना चाहिए जबकि ये तो स्त्रियों के श्रृंगार की वस्तु होने के साथ उनकी शक्ति और सौभाग्य का भी प्रतीक है। यहां तक कि करवा चौथ जैसे सुहागनों के व्रत में पूजा के लिए आवश्यक सोलह शृंगार में इसे क्यों रखा गया है। दरअसल प्राचीन काल में सुहागन स्त्रियों के लिए कुमकुम की बिंदी लगाने का चलन था। पूजा आदि के कार्यों में महिला-पुरुष दोनों ही चंदन, हल्दी, केसर का टीका या माथे पर भभूत (पूजा का राख) लगाया करते थे।
लेकिन पुरातन काल की टीका लगाने या कुमकुम बिंदी लगाने का रिवाज धीरे-धीरे स्टिकर बिंदी के रूप में प्रचलित हो गया जो आज भी इस्तेमाल किया जाता है। स्टिकर बिंदी प्रकाश के मार्ग को अवरुद्ध करता है। इस प्रकार आपकी ब्रह्म ग्रंथि ब्र्ह्मांडीय ऊर्जा से नहीं मिल पाती और पूजा के फल आपको नहीं मिल पाते।जबकि चंदन का टीका मस्तिष्क के आज्ञा चक्र को शांत करता है, इस प्रकार आपमें ब्रह्मांडीय ऊर्जा ग्रहण करने की शक्ति भी बढ़ती है। इसके अलावा टीका कोई भी लगाया जाए, चूर्ण या द्रवीय रूप में होने के कारण वह भी आपकी ब्रह्म ग्रंथि या आज्ञा चक्र को अवरुद्ध नहीं करता।