श्रद्धालु करेंगे कार्तिक शुक्ल पंचमी उदयव्यापिनी तिथि को खरना, शुभ मुहूर्त पर करें पूजा मिलेगा दोगुना लाभ
25 अक्टूबर से 36 घंटे का निर्जला-निराहार व्रत शुरू हो रहा है। कार्तिक शुक्ल पंचमी बुधवार को श्रद्धालु खरना करते है। इस बार उदयव्यापिनी तिथि बुधवार को है, इसलिए इसी दिन खरना शास्त्रसम्मत है। लोग घरों के अलावा गंगा घाटों पर भी व्रती स्नान करके मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर खरना का प्रसाद गुड़-चावल की खीर और रोटी तैयार करते है। सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। षष्ठी तिथि 25 अक्टूबर की सुबह 9.37 बजे से गुरुवार 26 अक्टूबर की दोपहर 12.15 बजे तक है। सूर्य की उपासना सूर्योदय के अनुसार की जाती है। शुक्रवार 27 अक्टूबर की सुबह उगते सूरज को प्रात:कालीन अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। 27 अक्टूबर को सुबह 8.27 बजे तक सप्तमी तिथि है।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
पूजा करने के लिए आवश्यक सामग्री है बांस या पीतल का सूप, बांस की डंडियों से बनी डलिया, पानी वाला नारियल, गन्ना, शकरकंद, नाशपाती, बड़ें नींबू, सुथनी, डगरा, पान और सुपारी, केराव, सिंदूर, कपूर, कुमकुम, कच्चे चावल, चंदन, हल्दी और अदरक का पौधा, पकवान में आप खस्ता, पुवा, ठेकआ एवं चावल के लड्डू का प्रयोग कर सकते हैं।
पूजा करते समय इन बातों का रखें ध्यान :
व्रत रखने वाले व्यक्ति नए वस्त्र पहने, पुरुष धोती पहनें, जबकि महिलाएं साड़ी पहनें। व्रत करने वाले व्यक्ति को फर्श पर सोना होगा। उसे महज एक चादर और कंबल में सोना होगा। यदि एक बार आपने छठ व्रत शुरू किया तो आपको यह तब तक रखना होगा जब तक इसे आपकी अगली पीढ़ी या कोई अन्य विवाहित स्त्री न करें। दिन में घर को पूरी तरह से स्वच्छ कर लें। इसके बाद शाकाहारी तरीके से भोजन बनाए। इसमें कद्दू की सब्जी, दाल अैर चावल जरूर बनाए। व्रत करने वाले चावल की दाल का प्रयोग अवश्य करें, इस दौरान ध्यान रहे कि सबसे पहले भोजन व्रत रखने वाला व्यक्ति करें, उसके बाद परिवार के अन्य सदस्य करें तभी पूरा लाभ मिल पाएगा।
इस समय रहेगा शुभ मुहूर्त :
नहाय-खाय के लिए शुभ मुहूर्त तिथि 24 अक्टूबर सूर्योदय का समय – सुबह 6:28 मिनट पर सूर्यास्त समय – शाम 5:54 मिनट पर तथा लोहंडा एवं खरना के लिए 25 अक्टूबर; सूर्योदय का समय – सुबह 6:28 मिनट पर; सूर्यास्त समय – शाम 5:53 मिनट पर और षष्ठी एवं अर्घ्य के लिए तिथि – 26 अक्टूबर; सूर्योदय का समय – सुबह 6:29 मिनट पर; सूर्यास्त समय – शाम 5:53 मिनट पर शुभ मुहूर्त है। सप्तमी एवं पारण के लिए तिथि – 27 अक्टूबर; सूर्योदय का समय – सुबह 6:29 मिनट पर; सूर्यास्त समय – शाम 5:52 मिनट पर। सूर्य अपने प्रिय तिथि पर पूजा से अभिष्ठ फल प्रदान करते हैं।
अर्घ्य देते समय इस मंत्र का करे जप :
सूर्य देव का अर्घ्य देते समय एक मंत्र का जप करना चाहिए जो है- ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पतये, अनुकंपाया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते। इस मंत्र का 1-5 बार तक जप अवश्य करें। इसके बाद 2 से 5 बार सूप की छोर पर जल छोड़ें। फिर छठी माईं एवं सूर्य देवी को धूप-दीप दिखाएं और उनसे सुखद जीवन की कामना करें। मान्यताओं के अनुसार सूर्य को अघ्र्य देने से इस जन्म के साथ किसी भी जन्म में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य प्रकृति को निमित है। नि:संतान को संतान देती और संतान की रक्षा करती हैं।