विधानसभा चुनाओं में मिली 10 बार जीत, एक छोटी सी गलती ने ख़त्म कर दिया राजनीतिक कैरियर
हिमांचल प्रदेश: हिमांचल प्रदेश की 89 साल की वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्या स्टोक्स ने यह सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका राजनीतिक कैरियर इस तरह से ख़त्म होनें वाला है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए अपनी सीट का बलिदान करनें वाली स्टोक्स ने राजनीति से सन्यास लेने का फैसल कर लिया था। लेकिन जब मुख्यमंत्री ने ठियोग की जगह अर्की विधानसभा से चुनाव लडनें का फैसला किया तो स्टोक्स अपनी सीट से अपने पसंद के नेता के लिए टिकट चाहती थीं। लेकिन पार्टी ने उनको अनदेखा करके दीपक राठौर को टिकट दे दिया, जो स्टोक्स को पसंद नहीं था।
पार्टी हाईकमान पलट गयी अपनी बातों से:
स्टोक्स ने अपने कुछ समर्थकों की सलाह पर जल्दी-जल्दी में नामांकन दाखिल कर दिया। लेकिन मंगलवार को छटनी के दौरान उनके नामांकन में कुछ कमियां पाए जानें की वजह से उनके नामांकन को रद्द कर दिया गया। विद्या को पहले पार्टी हाई कमान न ए यह भरोसा दिलाया था कि दीपक चुनाव में पीछे हट जायेंगे और उन्हें ही पार्टी अपने प्रत्याशी के रूप में उतारेगी। लेकिन पार्टी भी अपनी बात से पलट गयी और दीपक राठौर चुनाव मैदान में टिके ही रह गए।
कांग्रेस के लिए पड़ सकता है काफी महँगा:
सूत्रों से पता चला है कि ठियोग विधानसभा सीट खतरे में है। दूसरी तरफ पार्टी आलाकमान ने स्टोक्स के मामले में बड़ी लापरवाही भी की है। विद्या को पार्टी से रिटायर कर देना भविष्य में कांग्रेस के लिए काफी महँगा पड़ सकता है। अपने 43 साल के राजनीतिक कैरियर में स्टोक्स ने कुल 10 बार विधानसभा चुनाव जीता है। 1974 में उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत कांग्रेस में बतौर प्रत्याशी की थी।
एक छोटी सी गलती की वजह से ख़त्म हो गयी राजनीतिक पारी:
पति लालचंद स्टोक्स के निधन के बाद पहली बार ठियोग विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीता था। इसी बीच स्टोक्स को अपने राजनीतिक कैरियर में दो बार हार का भी सामना करना पड़ा था। अब स्टोक्स के पास चुनाव लडनें का कोई विकल्प मौजूद नहीं है। अपने नामांकन को रद्द होनें पर वह चुनौती भी नहीं दे पाएंगी। एक छोटी सी चूक की वजह से हिमांचल की सबसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की राजनीतिक पारी सदा के लिए ख़त्म हो गयी। लम्बे समय तक स्टोक्स मुख्यमंत्री वीरभद्र के विरोधी खेमे में रही हैं।