पत्नी के शव को कंधे पर लादे १० किमी तक पैदल चलता रहा एक शख्स, लोग फोटों खिचते रहे
भारत वर्ष एक ऐसा देश है जहां मातृशक्ति को हर कोई नमन करता है यहां स्त्री देवी रूप मै पूजी जाती है । ये भारत की ही संस्कृति है जो भारत को दुनिया के बाकी देशों से श्रेष्ठ बनाती है और एक अलग मिशाल कायम करती है। ( Man carrying wifes dead body in shoulder and walked for 10 KMs with his 10 years old daughter )
लोग यहां दीन, धर्म और ईमान की बात करते हैं। गौ रक्षा के लिए यहां लोग सड़को पर उतर जाते हैं और अपना दीन बचाने को तो लोग कत्लेआम तक मचा देते हैं. पर इस देश मैं इंसानियत के लिए कोई क्यों नहीं लड़ता है?
हम आप को भारत की वो तस्वीर दिखाएंगे जिसे देख कर आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगे की हमारी हकीकत क्या है क्या… आखिर..!!!
घटना ओडिसा प्रदेश के कालाहांडी जिले की है
घटना ओडिसा प्रदेश के कालाहांडी जिले की है. एक गरीब व्यक्ति अपनी पत्नी के मृत शरीर को कंधे पर लाद कर करीब १० किलोमीटर तक चलता है. लोग सडकों पर तमाशबीन बने रहते हैं और फोटो उठाते हैं,पर कोई उस गरीब की मदद करने को आगे नहीं आत है। कंधे पर पत्नी के मृत शरीर को लिये और हाथों मैं रोती बिलखती १२ साल की बेटी का हाथ पकड कर वो आदमी चलता चला जाता है, जहां थक जाता, पत्नी के मृत शरीर को वहीं सड़के किनारे रखकर जी भरकर रो लेता और थोडी देर बाद मृत शरीर को कंधे पर लाद कर फिर चल देता।
मानवता शर्मशार हुई
उस युवक की पत्नी कई सालों से टीबी की बीमारी से ग्रसीत थी , ४२ वर्षीय इस महीला ने भवानीपटना के जिला-अस्पताल में बुधवार को दम तोड़ दिया। महीला की मृत्यु के पश्चात युवक को महिला का मृत शरीर सौंप दिया गया, परन्तु युवक के पास इतने पैसे नहीं थे की वो किसी वाहन को किराये मैं ले कर अपनी पत्नी के शव को घर ले जाता। उस युवक ने डॉक्टरों से गुहार लगाई पर मानवता शर्मशार हुई , किसी ने एक न सुनी और मजबूरन उस युवक ने अपनी पत्नी के शव को एक कपड़े में बाधकर अपने कंधे पर रख लिया।
‘महापरायण’ योजना
किसी भी सरकारी अस्तपताल ( Govt Hospitals) से शव को मृतक के घर तक पहुंचाने की सुविधा देने के लिये लिए ओडिशा सरकार ने इसि साल के फरवरी माह में ‘महापरायण’ योजना आरम्भ की थी , इस योजना के तहत सरकारी अस्तपताल से शव को मृतक के घर तक पहुंचाने के लिए मुफ़्त परिवहन कि सुविधा मुहैया कराई जाती है, पर इस गरीब युवक के रोने एवं गिड़गिड़ाने के बाद भी किसी ने युवक की मदद नहीं की. राहगीर, रास्ते में युवक की फोटे खींचते रहे हैं, परन्तु किसी ने भी मदद के लिये हाथ आगे बढ़ाना जरूरी नहीं समझा।
जी, ये है हमारा भारत