जानिये मंदिर जाना क्यों है महत्वपूर्ण, ये कारण जान आप भी रह जाएंगे दंग
मंदिर का प्राथमिक उद्देश्य आज के समाज के लिए आवश्यक नियमों को प्रदान करना है. मंदिर जाकर आशीर्वाद लेना प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यक है. मंदिर के नियम हमारे मार्गदर्शन करते हैं और हमें आशीष देते हैं. शास्त्रों के निर्देशों के अनुसार, हमें मंदिरों को बनाने की सलाह दी जाती है. हमें पवित्र मंदिर के नियमों को अपनाकर अपने आपको योग्य बनाना चाहिए.
मंदिर हमारे जीवन में हमें मार्गदर्शक दिखाकर हमें अपने जीवन को जीने के लिए तैयार करते हैं. मंदिर के नियम हमें हमारे स्वर्गीय पितरों के रूप में आशीर्वाद का दूसरा रूप हैं. मंदिर हमें आध्यात्मिक शक्ति और दिशा देते हैं. मंदिर में हम अपने पूर्वजों के आवश्यक अध्यादेश भी प्राप्त कर सकते हैं.
मंदिर यानी सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह –
मंदिर को एक पवित्र स्थान के रूप में देखा जाता है. मंदिर जाने से पहले हम अपने आप को साफ़-सुथरा करने के बारे में सोचते है. पवित्र स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह से हमारा मन शांत होता है, हमारी सोच बदलती है, हमारे विचार सकारात्मक दिशा में होते है. सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह से हमारे शरीर में एक प्रकार की ख़ुशी लहराती है जो हमें सफलता की ओर अग्रसर करती है.
मन और तन की शुद्धि-
मंदिर जाने से मन और तन दोनों की शुद्धि हो जाती है. मंदिर के वातावरण में हमारा शरीर शुद्ध होकर रोग मुक्त होता है. वहां जाने से शरीर भी शुद्ध होता है. एक अध्यनन के अनुसार, की घंटियों की धवनि हमारे कानों से लेकर हमारे दिमाग तक जाती है तो हमारे शरीर के चरम बिंदु उत्तेजित हो जाते है जिससे शरीर की शुद्धि होती है. हमारे शरीर में सात केन्द्र बिंदु होते है जो मंदिर जाने से शुद्ध वातावरण में जाकर जागरूक हो जाते है.
ईश्वर की प्रार्थना का स्थान-
मंदिर एक ऐसी जगह है जहां हम भगवान से प्रार्थना करते हैं. यह जगह हमारी प्रार्थना के लिए उपयुक्त है. मंदिर हमारे विचारों की अभिव्यक्ति के लिए एकदम सही जगह है. हम अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं. जब हम हमारे मंदिरों में विश्वास, भक्ति, पवित्रता से प्रार्थना करते है तो हमें इसका फल अवशय मिलता हैं. यह वह जगह है जहां हम अपने मन को ध्यान केंद्रित करना सीख सकते हैं.
दान-पुण्य करने का केंद्र-
मंदिर गरीब लोगों को दान या भोजन करने का स्थान है. आम तौर पर गरीब और दलित लोग अपनी आजीविका के लिए मंदिर में इकट्ठा होते हैं. मंदिर में जाकर हम भंडारा कर सकते हैं.