सिर में नहीं बल्कि यहाँ होता है ‘दूसरा दिमाग’, डॉक्टरों ने सुलझाया सबसे बड़ा रहस्य
‘दूसरा दिमाग’ यह शब्द पढ़कर शायद आपको अजीब लगे और हो सकता है कि आप में से कइयों ने इस शब्द को कभी सुना भी न हो। लेकिन नई रिसर्च के अनुसार, इंसान के अंदर ‘दूसरे दिमाग’ की सच्चाई का खुलासा हो गया है। जी हां, हमारा ‘पेट’ ही हमारा ‘दूसरा दिमाग’ है। Second brain present in our body. रिसर्च के मुताबिक आश्चर्यजनक रूप से ‘पेट’ हमारी भूख के साथ-साथ हमारी मनोदशा को भी नियंत्रित करता है।
शायद आपने कहावत पढ़ी हो कि, ‘कोई भी निर्णय करते समय अपने ‘पेट’ को अनदेखा न करें।’
क्या आपने कभी सोचा है कि यह कहावत क्यों कही गई है? हमारे पेट में हमारा ‘दूसरे दिमाग’ स्थित है! यह पढ़कर शायद आपको सदमा लग जाए, लेकिन यही सच है।
पेट ये भाग कहलाता है ‘दूसरा दिमाग’
अगर हम आपसे पूछे की आपके शरीर में कितने दिमाग हैं? तो शायद आपका जवाब ‘एक’ होगा। लेकिन, दिमाग के अलावा हमारे शरीर में और कई तंत्रिका तंत्र भी मौजूद हैं। लेकिन हम यहां सभी की बात नहीं कर रहे। हम यहां बात कर रहे हैं ‘आँतों का तंत्रिका तंत्र’ की। जिसे अंग्रेज़ी में ‘एन्टेरिक नर्वस सिस्टम’ कहा जाता है। इसकी जटिल संरचना के कारण ही कुछ वैज्ञानिक इसका नाम ‘दूसरा दिमाग’ रख दिया है। आपको जानकर आश्चर्य हो रहा होगा कि यह हमारे सिर में नहीं होता, बल्कि हमारे पेट में होता है।
ऐसे करता है काम
‘आँतों का तंत्रिका तंत्र’ या ‘दूसरा दिमाग’ खाने को ऊर्जा में बदलने के लिए इसको पचाने का कार्य दिमाग का नहीं बल्कि इसकी जिम्मेदारी ‘आँतों के तंत्रिका तंत्र’ कि होती है। ‘आँतों का तंत्रिका तंत्र’ की संरचना बेहद जटिल होती है। अनुमान के मुताबिक ‘आँतों के तंत्रिका तंत्र’ में करीब 20 से 60 करोड़ तंत्रिका कोशिकाएँ होती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ‘आँतों के तंत्रिका तंत्र’ के काम अगर दिमाग को करना हो, तो इसके लिए बहुत-सी नसों की ज़रूरत पड़ेगी। इसी कारण से पाचन तंत्र का यह काम खुद करना ही बेहतर है।
दिमाग से होता है सीधा संपर्क
‘आँतों के तंत्रिका तंत्र’ का दिमाग से सीधा संपर्क होता है। उदाहरण के लिए यह उन हार्मोन की मात्रा को कंट्रोल करता है, जो दिमाग को बताते हैं कि हमें कब और कितना खाना खाना चाहिए। पेट भर का संकेत ‘आँतों के तंत्रिका तंत्र’ की तंत्रिका कोशिकाएँ दिमाग को देती हैं। चलिए इसके दिमाग के कनेक्शन को एक उदाहरण से समझते हैं। क्या आपको कभी ऐसा लगा कि कोई अच्छी डिश खाने से आपका मूड या मिज़ाज अच्छा हो गया या कुछ बूरे स्वाद वाली डिश खाने से मूड खराब हो गया? यही तो हमारे ‘सिर में स्थित दिमाग’ और ‘पेट में स्थित दूसरे दिमाग’ का कनेक्शन है।