इस तरह भी हो सकते हैं स्तन कैंसर, पर इन मिथकों पर भूलकर भी ना करें विश्वास
महिलाओं में स्तन कैंसर होना बहुत आमबात है. दुनियाभर में स्तन कैंसर से हर साल कई महिलाओं की मौत होती है. बेशक, इस बीमारी का निदान और इलाज संभव है लेकिन सही समय पर इस बीमारी के बारे में पता ना चलने पर मौत का जोखिम हो सकता है.
लेकिन आज हम आपको स्तन कैंसर से जुड़े कुछ ऐसे मिथकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आपको बिल्कुल भी विश्वास नहीं करना चाहिए.
बहुत से लोग मानते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ बडी उम्र की महिलाओं को होता है. जबकि ये सिर्फ एक कोरा मिथक है.
कई लोग मानते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं में होने वाला कैंसर है. जबकि ये पुरुषों को भी होता है.
कुछ लोगों का मानना है कि ब्रेस्ट कैंसर का खतरा सिर्फ उन महिलाओं को अधिक होता है जिनके घर में पहले किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर हो चुका हो. जबकि सच ये है कि आजकल कैंसर किसी भी महिला को हो सकता है. हां, बेशक जिन महिलाओं की फैमिली हिस्ट्री में ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है उन्हें खतरा रहता है लेकिन ये जरूरी नहीं कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो ही.
ऐसा माना जाता है कि ब्रेस्ट कैंसर को रोकने के लिए या उसके खतरे को कम करने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता. जबकि सच ये है कि 90 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर पर्यावरण और जीवनशैली के कारण होते हैं. हेल्दी वेट मेंटेन करके, नियमित एक्सरसाइज करके और
एल्कोहल का सेवन सीमित करके ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को आसानी से कम किया जा सकता है.
कुछ लोग मानते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर का कारण ब्रा है. ये सच नहीं है. सच तो ये है कि अंडरवियर या ब्रा के कारण कैंसर नहीं होता. एक रिसर्च में भी ये बात साबित हो चुकी है.
ये भी माना जाता है कि ब्रा में मौजूद अंडरवायर भी ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है. ये सच है कि ब्रा में मौजूद वायर्स बल्ड फ्लो रोक देते हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इससे ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है.
लोग मानते हैं कि नियमित मैमोग्राफी करवाने से ब्रेस्ट कैंसर से बचा जा सकता है. जबकि सच ये है कि मेमोग्राफी ब्रेस्ट कैंसर से बचा नहीं सकती लेकिन समय पर इसका निदान कर सकती है.
ऐसा माना जाता है कि डियो जैसे पदार्थ ब्रेस्ट कैंसर का कारण है. रिसर्च में इस बात के कोई तथ्य नहीं मिले हैं.