क्या आप जानते हैं, भगवान शंकर क्यों पहनते हैं बाघ की खाल? नहीं तो यहाँ जानें
भगवान भोलेनाथ के बारे में हमारे धर्मशास्त्रों में कई तरह की कहानियाँ प्रचलित हैं। कुछ कहानियों के बारे में सभी लोग जानते हैं जबकि कुछ कहानियाँ कम ही लोग जानते हैं। भगवान शंकर के रूप से तो आप परिचित ही होंगे। पुराणों और कहानियों में भगवान शंकर के जिस रूप का वर्णन मिलता है, वह वाकई बहुत आश्चर्यजनक है। भगवान शंकर के एक हाथ में त्रिशूल है तो एक हाथ में डमरू है, गले में साँप की माला है तो जटाओं से माँ गंगा की धारा निकल रही है।
भगवान शंकर बैठते भी हैं बाघ की खाल पर:
उनके शरीर पर हर जगह भस्म लगा हुआ है तथा बाघ की खाल पहनी हुई है। भगवान शंकर के इस रूप से सभी लोग परिचित हैं, लेकिन क्या आपनें कभी इस बारे में विचार किया है कि भगवान शंकर आखिर क्यों सिर्फ बाघ की ही खल पहनें हुए दिखाई देते हैं। कुछ और क्यों नहीं पहना हुआ है। आखिर बाघ की खाल से उनका क्या सम्बन्ध है। केवल भगवान शिव बाघ की खाल पहनते ही नहीं हैं बल्कि उसपर बैठे हुए भी दिखाई देते हैं।
निर्वस्त्र ही गुजर रहे थे जंगल से भगवान शिव:
हम सभी के इस सवाल का जवाब शिव पुराण में मिलता है। उसमें भगवान शंकर और बाघ से जुड़े एक कहानी का जिक्र किया गया है। इस कथा के अनुसार एक बार भगवान शंकर ब्रह्माण्ड का भ्रमण करते हुए जंगल पहुँचे। जंगल में कई ऋषि मुनि अपने परिवार के साथ रहते थे। भगवान शंकर पहले कुछ भी नहीं पहनते थे। वह निर्वस्त्र ही इस जंगल से गुजर रहे थे। उन्हें इस बात का ध्यान ही नहीं था कि उन्होंने कुछ भी नहीं पहना हुआ है।
ऋषियों ने भगवान शिव के मार्ग में बना दिया गड्ढा:
जब ऋषि-मुनियों की पत्नियों से शिव भगवान का सुडौल शरीर देखा तो वह उनकी तरफ आकर्षित होनें लगी। ऋषियों की पत्नियों ने अपना काम-धाम छोड़कर भगवान शंकर की तरफ टकटकी लगा ली। जब यह बात ऋषियों को पता चली तो वे बहुत क्रोधित हो गए। ऋषि-मुनि भगवान शंकर को एक साधारण मनुष्य ही मान रहे थे। ऋषियों ने भगवान शंकर को सबक सिखानें के लिए योजना बनाई। ऋषियों ने शिवजी के मार्ग में एक बड़ा गड्ढा बना दिया, जिसमें भगवान शिव गिर गए।
बाघ को मारकर गड्ढे से निकले उसकी खाल पहनकर:
जैसे ही ऋषियों को इस बात की जानकारी हुई की गड्ढे में शिव गिर गए हैं, उन्होंने गड्ढे में एक बाघ को भी डाल दिया। ऋषियों ने यह सोचकर गड्ढे में बाघ डाला ताकि वह भगवान शंकर को मारकर खा जाए। लेकिन जो हुआ वह देखकर सभी ऋषि-मुनियों के होश उड़ गए। भगवान शंकर ने बाघ को मार गिराया और उसकी खाल पहनें हुए गड्ढे से बाहर निकले। यह देखकर ऋषि मुनियों को पता चल गया कि यह कोई साधारण मनुष्य नहीं है। तभी से यह माना जाता है कि भगवान शंकर बाघ की खाल पहन रहे हैं। केवल यही नहीं तभी से बाघ की खाल पर वह बैठते भी हैं।