सालों से रावण के खौफ के साए में जी रहे हैं इस गाँव के लोग, रहस्य जानकर उड़ जायेंगे आपके होश
कुछ ही दिनों पहले पुरे देश में दशहरा का पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया गया। उस दिन को दशहरा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उसी दिन दस सर वाले रावण का भगवान राम ने वध किया था। दशहरा के दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। रामायण की घटना सदियों पहले हुई थी, तब से लेकर आब तक लोग इसे मनाते आ रहे हैं। पुरे देश में दशहरा के पर्व को हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया।
आज भी कायम है इस गाँव में रावण का खौफ:
दशहरा और रावण से जुडी कई ऐसी घटनाएँ हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। कुछ दिन पहले हमनें आपको रावण के मृत शरीर के बारे में बताया था। आज हम रावण से जुड़े एक अन्य रहस्य के बारे में बतानें जा रहे हैं। यकीन मानिये यह रहस्य आपको ऊपर से लेकर नीचे तक झकझोर देगा। जहाँ दशहरा के दिन पुरे देश में हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाया गया, वहीँ उत्तर प्रदेश में एक ऐसा भी गाँव हैं जहाँ आज भी रावण का खौफ है।
भगवान राम ने किया था सेना के साथ लंका कूच:
इस गाँव में रावण के डर से दशहरा का पर्व नहीं मनाया जाता है। रावण के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली था। रावण जाति से ब्राहमण था लेकिन कर्म से वह राक्षस था। वह भगवान शिव का भक्त था, जिस वजह से भगवान शिव ने उसे वरदान भी दिया हुआ था। रावण ने अपनी बहन का बदला लेने के लिए माता सीता का अपहरण कर लिया और उन्हें बंदी बनाकर अशोक वाटिका में रख दिया। माता सीता को वापस लानें और पाप का अंत करनें के लिए भगवान राम ने अपनी सेना के साथ लंका कूच किया।
कई दिनों तक चलनें वाले इस युद्ध में दोनों तरफ से हजारों-लाखों लोग मरे। कई राक्षसों के अंत के बाद विभीषण की मदद से भगवान राम ने दशहरा के दिन रावण का वध किया। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर भगवान राम की मदद विभीषण नहीं करते तो रावण को मार पाना असंभव था। हालांकि रावण के मारे जानें के बाद से हर साल दशहरा के दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पुरे देश में रावण का पुतला फूंका जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के नॉएडा में वहाँ से 10 किलोमीटर दूर एक गाँव हैं, जहाँ दशहरा नहीं मनाया जाता है।
इसी गाँव में हुआ था राक्षस राज रावण का जन्म:
बताया जाता है कि इस गाँव में ना ही कभी रामलीला होती है और ना ही कभी दशहरा का पर्व मनाया जाता है व रावण का दहन किया जाता है। रहस्यों से भरे इस गाँव का नाम विसरख है और यह कहा जाता है कि यह रावण का पैतृक गाँव है। ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर राक्षसों के राजा रावण का जन्म हुआ था। इसलिए जिस दिन पुरे देश में दशहरा की धूम रहती है, वहीँ इस गाँव में मातम छाया रहता है।