‘कृष्णा’ बनकर सबका मन मोहने वाले, आजकल पहाड़ों में करते हैं ऐसा काम.. जानकर रह जाएंगे दंग
90 के दशक में हर रविवार इस लिहाज से भी खास होता था कि इसकी शुरूआत बड़ी सुहानी होती थी और सुबह के वक्त लोगों को एक खास सीरियल का इंतजार रहता था..वो था ‘श्री कृष्णा’ । इस भक्ति सीरियल ने जनमानस पर ऐसा असर डाला था कि इसके हर किरदार लोगों के ज़ेहन में बस गए थे..उन्हीं किरदारों में से एक रहा भगवान कृष्ण का जिसे निभाया था एक्टर सर्वदमन डी बनर्जी ने।
भगवान श्री कृष्ण के किरदार ने सर्वदमन डी बनर्जी को इस कदर लोकप्रिय बना दिया था कि रील लाइफ में कृष्ण बने इस एक्टर्स को किसी ने रियल कृष्ण के तौर पर देखा तो कईयों ने इनकी पूजा भी की… पर बात तो ये है कि इतनी लोकप्रियता पाने के बावजूद सर्वदमन बनर्जी अचानक ग्लैमर दुनिया से गायब हो गएं और अब इनके बारे जो बात पता चली है कि वो बेहद हैरान करने वाली है। आज हम आपकों यही बताने जा रहे हैं कि ये पापुलर एक्टर आजकल क्या काम कर रहा है जिसे जानकर यकीनन ही आपको उन पर गर्व होगा ।
टीवी के बाद किया था सिनेमा की तरफ रूख
दरअसल श्रीकृष्णा के बाद सर्वदमन बनर्जी को कई इसी तरह के शोज ऑफर हुए जिनमें वो नजर आए, जैसे कि ‘अर्जुन’, ‘जय गंगा मैया’ और ‘ओम नम: शिवाय’। इन सभी शोज में सर्वदमन डी बनर्जी ने भगवान कृष्ण का ही रोल प्ले किया।
हर सीरियल में उन्हें श्रीकृष्ण बनाने का मुख्य कारण यह था कि उस वक्त सिर्फ एक ही ऐसा व्यक्ति था जो इस किरदार में पूरी तरह से फिट बैठता था। टेलीविजन शो करने के बाद सर्वदमन डी बनर्जी ने बड़े पर्दे की तरफ रुख किया। इस दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद, स्वयं कृषि आदि शंकराचार्य जैसी धार्मिक फिल्मों में काम किया।जिसमें आदि शंकराचार्य के लिए उन्हे नेशनल अर्वाड मिला पर फिर भी सिनेमा जगत में उन्हें कुछ खास सफलता हासिल न हो पाई और इसके चलते उन्होंने सिनेमा की दुनिया से दूरी बनाना शुरू कर दिया और आखिरकार उन्होंने ग्लैमर इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया।
ग्लैमर की दुनिया छोड़ पहाड़ों में लोगों को सीखा रहें हैं योग
आज सर्वदमन बनर्जी फिल्मी चकाचौंध से दूर ऋषिकेश में हैं और वहां लोगों को मेडिटेशन सिखाते हैं। पिछले साल एक दिए इंटरव्यू में सर्वदमन ने इसका जिक्र किया था कि उन्होंने फिल्मों और टीवी की दुनिया क्यों छोड़ी ? सर्वदमन ने कहा था, ‘मैंने ‘कृष्णा’ करते वक्त ही फैसला कर लिया था कि मैं 45-47 साल की उम्र तक ही काम करूंगा और उसके बाद जीवन ने कनेक्टेड कुछ काम करूंगा। बस फिर मुझे मेडिटेशन मिल गया और अब मैं पिछले 20 साल से वही कर रहा हूं।’
गरीब बच्चों और असहाय महिलाओं को ‘पंख’ के जरिए कर रहे हैं सहयोग
मेडिटेशन के अलावा सर्वदमन बनर्जी पंख नाम की एक एनजीओ को भी सपोर्ट कर रहे हैं जो उत्तराखंड में स्लम में रहने वाले करीब 200 बच्चों को आजीविका कमाने में मदद कर रही है गरीबी में रहने वाले 200 बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने में सहायता कर रही है। इसके अलावा ये एनजीओ वहां की शोषित महिलाओं को आजीविका कमाने की स्किल्स सिखा रही है। ये काम वाकई सराहनीय है। जो संतुष्टि सर्वदमन बनर्जी को एक्टिंग करने में नहीं मिली होगी वो शायद इस काम में जरूर मिल रही होगी। सर्वदमन डी बनर्जी अपने जीवन में शांति चाहते हैं, वह ग्लैमर की दुनिया से दूर रहना चाहते हैं।