इस तरह से मरनें के बाद शरीर छोड़कर बाहर निकलती है आत्मा, सच्चाई कर देगी हैरान
अक्सर इस बात पर बहस होते हुए देखी गयी है कि आखिर मरनें के बाद मनुष्य की आत्मा का क्या होता है। आत्मा शरीर से किस तरह से निकलती है, उसे किसी ने आजतक नहीं देखा है। हालांकि कुछ लोग आत्मा को देखनें का दावा जरुर करते हैं, लेकिन उनकी सच्चाई पर भ्रम होता है। धर्म के अनुसार यह सास्वत सत्य है कि आत्मा एक शरीर से दूसरा शरीर बदलती रहती है। शरीर बुढा होकर मर जाता है, लेकिन आत्मा हमेशा जीवित रहती है।
उठ गया है आत्मा के रहस्य से पर्दा:
हालांकि जो लोग पुनर्जन्म पर यकीन नहीं करते हैं, उनके लिए इस बात पर भरोसा करना काफी मुश्किल होता है कि आत्मा अजर-अमर है। आत्मा कभी भी मरती नहीं है। किस्से कहानियों में आत्मा के अलग-अलग रूपों के बारे में बताया गया है, लेकिन आत्मा सच में कैसी होती है, इसके बारे में कोई नहीं जानता है। हालांकि जो पहले रहस्य था आज उस रहस्य से पर्दा उठ चुका है। आत्मा के बारे में कई तरह के सवाल उठते रहते हैं।
कैमरे की सहायता से कैद किया आख़िरी पल:
आत्मा का रंग-रूप, आकार, उसका स्वरुप, आत्मा कैसी दिखती है ये तमाम तरह के सवाल हर व्यक्ति के मन में उठते रहते हैं। हाल ही में रूस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक कोंस्तांतिन कोरोत्को ने एक प्रयोग के द्वारा यह साबित किया है कि आत्मा का स्वरुप कैसा होता है और वह किस तरह से शरीर को त्यागती है। कोंस्तांतिन कोरोत्को ने बायोइलेक्ट्रोग्राफी कैमरे से जीवन की अंतिम साँसे गिन रहे व्यक्तियों के पलों को कैप्चर करनें के बारे में सोचा।
सबसे पहले ख़त्म होती है मस्तिष्क और नाभि की उर्जा:
किरकियन फोटोग्राफी की मदद से कोंस्तांतिन कोरोत्को ने देखा कि जब व्यक्ति मरनें वाला होता है तो सबसे पहले उसके मस्तिष्क और नाभि की उर्जा ख़त्म होती है। आखिर में जांघ और हृदय की उर्जा ख़त्म होती है। जिन लोगों की मौत अचानक या हिंसात्मक तरीके से होती है, उनकी आत्मा सामान्य से अलग तरीके से निकलती है। कोंस्तांतिन कोरोत्को के अनुसार जिन लोगों की मौत अचानक या लम्बी बीमारी की वजह से होती है, आत्मा छोड़ते समय उनकी उर्जा का ह्रास बहुत कम हुआ होता है।
इसलिए यह माना जाता है कि उन लोगों की आत्मा दुविधा में रहते हुए शरीर छोड़ती है। उनके शरीर के किस हिस्से की मौत सबसे पहले होगी, यह बात तय नहीं हो पाती है। सेंट पीटर्सबर्ग स्थित रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ़ फिजिकल कल्चर के निर्देशक कोंस्तांतिन कोरोत्को द्वारा विकसित की गयी यह तकनीक रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा समर्थित की गयी है। लगभग 300 डॉक्टर इस तकनीक के माध्यम से कैंसर पीड़ित लोगों की नाजुक हालत पर नजर रखे हुए हैं।