आपका नाम किसनें रखा क्या आप जानते हैं? आपका भाग्य-दुर्भाग्य हो सकता है इससे जुड़ा
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसका कोई नाम नहीं होगा। बच्चा पैदा होते ही सबसे पहले उसका नाम कारण किया जाता है। कई लोग तो अपने पैदा होनें वाले बच्चे के लिए सालों पहले से नाम सोचकर रख लेते हैं कि बच्चे के पैदा होनें पर यही नाम रखा जायेगा। भारत में हिन्दू धर्म में बच्चों का नाम कुंडली देखनें के बाद रखा जाता है। किसी भी व्यक्ति को उसके नाम से ही जाना जाता है। महान व्यक्तियों को मरनें के बाद उनके नाम से ही जाना जाता है।
नाम रखनें वाले के बारे में कोई नहीं देता ध्यान:
बच्चे के नामकरण की कई चीजों को ध्यान में रखकर किया जाता है। लेकिन इस ख़ुशी के मौके में लोग यह भूल जाते हैं कि बच्चे का नाम किसके द्वारा रखा जाता है। इसका भी बच्चे के जीवन पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। ज्योतिषशास्त्र की मानें तो व्यक्ति के नाम के साथ केवल उसकी पहचान ही नहीं बल्कि उसका भाग्य और दुर्भाग्य भी जुड़ा होता है। बच्चों का नाम रखते समय कई चीजों पर हम सब ध्यान देते हैं, लेकिन नाम रखनें वाले के बारे में कोई नहीं सोचता है।
बच्चे के भाग्य और भविष्य पर पड़ता है असर:
ज्यादातर परिवारों में बच्चे का नाम उसके माता-पिता ही रख लेते हैं। लेकिन कई बार करीबी रिश्तेदार नानी-नाना, बुआ, मामा-मामी, दादा-दादी भी बच्चे का नाम रखते हैं। आपको भले ही यह साधारण चीज लगती हो लेकिन इसका असर आपके बच्चे के भाग्य और भविष्य पर पड़ता है। बच्चे की जन्मपत्री से कितना भी हिसाब लगा लिया जाये, लेकिन इसकी वजह से सरे हिसाब इधर-उधर हो जाते हैं। आइये जानते हैं इससे जुड़े कुछ और तथ्य। किस परिजन के नाम रखनें से क्या पड़ता है असर।
पैदा होनें लगता है बच्चे के जीवन में संघर्ष:
ऐसा माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति किसी का नामकरण करता है तो उसके ग्रह सामनें वाले के साथ जुड़ जाते हैं। उसके जीवन के कुछ हिस्से का प्रभाव आपके जीवन पर भी पड़ता है। जब वह व्यक्ति किसी तनाव या परेशानी से गुजरता है तो सामनें वाले व्यक्ति को भी उसका सामना करना पड़ता है। साथ ही कुछ ख़ास रिश्ते से जुड़े परिजनों द्वारा दिए गए नाम आपके जीवन में संघर्ष भी पैदा करता है।
बेहतर यही होता है कि बच्चे का नाम रखें माता-पिता:
यह माना जाता है कि ननिहाल या बुआ की तरफ से कोई नामकरण करता है तो साथ में कई परेशानियाँ भी लेकर आता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि बुआ का नैसर्गिक कारक ग्रह राहु होता है। इसी तरह मामा का नैसर्गिक भाव छठा और करक बुध होता है। अगर इन दोनों के ग्रह किसी वजह से पीड़ित रहे और इनके जीवन में कोई परेशानी आती है तो आपको भी उसका सामना करना पड़ता है। इसलिए यह कहा जाता है कि बच्चे की बेहतरी के लिए उसके माता-पिता ही उसका नाम रखें।
नाम में भूलकर भी ना रखें आधा अक्षर:
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार माँ का भाव चतुर्थ और पिता का भाव दशम होता है। इसी कारण उनके द्वारा दिए गए नाम आपकी कुंडी के चतुर्थ और दशम भाव यानी सूर्य और चंद्रमा संतुलित रखते हैं। अगर माता-पिता बच्चे का नाम रखनें में असमर्थ हों तो दादी की तरफ से ही किसी व्यक्ति को रखना चाहिए। इससे बच्चे को भविष्य में लाभ मिलता है। बच्चे का नाम हमेशा नवम और पंचम राशियों के आधार पर ही रखना चाहिए। किसी भी देवी-देवता के नाम के आधार पर कोई नाम नहीं रखना चाहिए। नाम हमेशा सरल और स्पष्ट होना चाहिए। आधे अक्षरों के प्रयोग से बचें।