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जानें तानसेन की मृत्यु का सच, अकबर की जिद की वजह से हुई थी महान संगीतज्ञ तानसेन की मृत्यु

तानसेन से कौन परिचित नहीं होगा। तानसेन मुग़ल शासक अकबर के राज्य के नौ रत्नों में से एक थे। तानसेन की महानता के बारे में इसी से पता लगाया जा सकता है कि जब वह राग छेड़ते थे तो दीपक अपने आप जलनें लगते थे। अभी सुनकर भले ही यह मज़ाक लगे, लेकिन जब इतिहास के पन्नों को खंगाला जाये तो सच्चाई पता चलती है। इस तथ्य के ऊपर आज भी कई लोग संदेह करते हैं, जबकि कुछ लोग इसे सही मानते हैं।

कम ही लोग जानते हैं तानसेन की मृत्यु का सच:

ज्यादातर लोग तानसेन को उनके बेहतरीन कला की वजह से जानते हैं। जबकि इसके अलावा भी उनके जीवन से जुडी कई महत्वपूर्ण बातें हैं, जो शायद ही कोई जनता होगा। तानसेन के जीवन के बारे में तो छोड़ ही दीजिये, उनकी मृत्यु का सच भी कम ही लोगों को पता होगा। तानसेन की मृत्यु कब और कैसे हुई यह एक राज बना हुआ है। लेकिन आज हम आपके सामनें उस राज से पर्दा उठानें वाले हैं। आप यक़ीनन तानसेन की मृत्यु का सच जानकर हैरान हो जायेंगे।

मुग़ल शासक था प्रभावशाली व्यक्ति:

तानसेन की मृत्यु कैसे हुई, इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण और दिलचस्प यह है कि तानसेन की मृत्यु किसकी वजह से हुई। जी हाँ तानसेन की मौत के पीछे किसी का हाथ था। आज हम तानसेन की मृत्यु से जुड़े सभी राज आपके सामनें खोलनें वाले हैं। जैसा कि सभी लोगों को पता है मुग़ल शासक अकबर बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति था। उसके दरबार में नौ रत्न थे, जिनमें से एक तानसेन भी थे। तानसेन अकबर के चहेते गायक थे, इस वजह से वो उनकी कोई बात टालते हैं थे।

तानसेन ने गानें से किया इनकार लेकिन उनकी एक ना चली:

तानसेन की यह बात दरबार के अन्य लोगों को पसंद नहीं थी। इसलिए कुछ लोगों ने मिलकर तानसेन को मारनें की योजना बनाई। सभी लोगों ने मिलकर अकबर से कहा कि वो तानसेन को राग दीपक गानें के लिए कहें। अकबर ने लोगों की बातों की नजरंदाज कर दिया। लेकिन वो ज्यादा दिन तक टाल नहीं पाए। एक दिन उन्होंने तानसेन के सामने जिद की कि वह राग दीपक गायें। तानसेन ने भी इनकार करनें की कोशिश की, लेकिन अकबर के आगे उनकी एक ना चली।

राग दीपक गानें से गर्मानें लगा आस-पास का माहौल:

तानसेन ने यह पहले ही बता दिया कि राग दीपक गानें से उनका शरीर भी जलनें लगता है, लेकिन फिर भी अकबर नहीं माना। चूँकि अकबर राजा था, इसलिए उसनें तानसेन को आदेश दिया कि वह राग दीपक गाये। इसके बाद तानसेन ने राग दीपक गाना शुरू किया, जिससे दीपक जल उठे। लेकिन आस-पास का माहौल भी गर्मानें लगा। कुछ ही समय बाद दरबार में आग लग गयी और सब खुद को बचानें के लिए इधर-उधर भागनें लगे। राग दीपक गानें की वजह से तानसेन के शरीर से भी ताप निकलनें लगा।

उस समय दरबार में तानसेन की बेटियाँ भी मौजूद थी, जिन्होनें मौके की नजाकत को देखते हुए राग मल्हार गाकर माहौल को ठंढा किया और उनकी जान बचा ली। उस समय उनकी आयु 80 वर्ष थी, जिस वजह से वह इससे पूरी तरह उबर नहीं पाए। उस समय चढ़ा हुआ ताप 3 साल बाद फिर उभर आया। 1585 में इसी भयानक ज्वर की वजह से उनकी जान चली गयी। ये रहा तानसेन की मृत्यु का सच, लेकिन यह पुख्ता नहीं है। इसके अलावा तानसेन की मृत्यु के बारे में कुछ भी नहीं है।

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