यौन जीवन को इस तरह प्रभावित करता है ये बीमारी, जानिये कैसे लोगों की सेक्स लाइफ हो रही है बर्बाद
आज के समय में अल्जाइमर यानि याददाश्त खोना एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. यूं तो अल्जाइमर जैसी बीमारी 50 से 60 उम्र के लोगों को अधिक होती है लेकिन एक हालिया अध्ययन बताता है कि अब युवाओं में भी उनकी खराब जीवनशैली के कारण अल्जाइमर का खतरा बढ़ गया है.
हैरानी की बात तो ये है कि अल्जाइमर के कारण लोगों का यौन जीवन भी प्रभावित हो रहा है. आज हम आपको बताएंगे कैसे अल्जाइमर रोग लोगों की सेक्स लाइफ को बर्बाद कर रहा है.
यादों को भूलाने का सिलसिला है अल्जाइमर-
आमतौर पर देखा गया है कि किसी भी संबंध में, जब एक व्यक्ति सेक्स करना चाहता है और दूसरा सहयोगी इसका पूरी तरह से असमर्थन करता है, तब समस्या उत्पन्न हो सकती है. ये स्थिति तब और खराब हो जाती है जब अल्जाइमर जैसी बीमारी इसमें शामिल होता है. यादें एक व्यक्ति को आपके जीवन में घटी घटनाओं की होती है जिसे इंसान जिंदगी भर संजो कर रखता है. लेकिन जब इन यादों के बीच में कोई बाधा आ जाए तो तकलीफ होती है. अल्जाइमर रोग कुछ भी नहीं है लेकिन मस्तिष्क के अध:पतन और यादों को भूलाने का सिलसिला है. ऐसे में कई बार अल्जाइमर के कारण व्यक्ति अपने यौन जीवन की क्रियाओं तक को भूल जाता है.
यौन भावनाओं को बढ़ाता-घटाता है अल्जाइमर-
चूंकि व्यवहार और भावनाओं के लिए मस्तिष्क जिम्मेदार है, मस्तिष्क यौन भावनाओं को बढ़ाता-घटाता है. ऐेसे में अल्जाइमर होने पर भावनाओं में अप्रत्याशित परिवर्तन होते हैं.
अल्जाइमर में यौन व्यवहार में यूं आता है बदलाव-
अल्जाइमर के अनुभव वाले लोग या तो सेक्स में बहुत ज्यादा रूचि लेते हैं या बहुत कम. अल्जाइमर का यौन जीवन के हर पहलू पर प्रभाव पड़ता है. जिस व्यक्ति को अल्जाइमर होता है उसकी यौन क्रिया करने की क्षमता बहुत अधिक या बहुत कम हो जाती है. यौन व्यवहार में बदलाव आ सकता है जैसे उसका व्यवहार यौन आक्रामक हो सकता है या वह बहुत ज्यादा संवेदनशील हो सकता है.
शुरूआत में नहीं दिखाई देते इसके लक्षण-
अल्जाइमर सिर्फ बुढ़ापे की बीमारी नहीं है. ये बीमारी युवाओं में 5% से अधिक देखने को मिल रही है. अल्जामइमर डिमेंशिया का एक प्रकार है. हालांकि शुरूआत में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन 40 या 50 की उम्र तक ये बीमारी आते-आते ये बढ़ जाती है.
मानसिक और शारीरिक स्थिति है अल्जाइमर-
अधिकांश लोग अल्जाइमर को मानसिक स्थिति के रूप में देखते हैं और उसका उसी तरह इलाज करते हैं. लेकिन अल्जाइमर को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह का प्रभाव पड़ता है.