बिजली का करंट लगने से यदि धड़कन हो जाये बंद तो इन उपायों से 5 मिनट में बचा सकते है व्यक्ति की जान
वैसे तो जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथों में होते है पर कभी कभी इंसान भी अपनी समझदारी से दुसरो की जान बचा सकता है . अब जैसे कि इस ठंड के मौसम में अक्सर नमी की मात्रा बढ़ जाती है जिस कारण खुली पड़ी बिजली की तारों में करंट आ सकता है . ऐसे में यदि किसी व्यक्ति को करंट लगने से उसकी मौत हो जाये तो भी आपके पास उसे बचाने का मौका होता है जिससे आप उसे मारने से बचा सकते है (Electric Current Shock Treatment) .
अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसे कैसे हो सकते है तो अगर आपको हम पर यकीन नहीं आईये डॉक्टर की बात भी सुन लीजिये और जानिए कि आखिर ऐसी स्थिति में क्या किया जा सकता है ? इस बारे में हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल यानि जो दिल के डॉक्टर है उन्होंने बताया कि अगर करंट लगने से मौत किसी व्यक्ति की मौत हो भी जाए तो पीड़ित को कार्डियोप्लमनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की पुरानी तकनीक 10 का फार्मूला प्रयोग करके 10 मिनट में होश में लाया जा सकता है और इस तकनीक में पीड़ित का दिल कम से कम प्रति मिनट 100 बार दबाया जाता है . वैसे तो ये तरीका अस्पतालों में भी इस्तेमाल किया जाता है पर वहां हाथों से दिल को दबाने की बजाय मशीनों का प्रयोग किया जाता है .
इस प्रकार हम बिजली का करंट लगने के बाद पीड़ित को इससे बचा सकते है .वैसे अगर आपको बिजली की तारों के बारे में भी पता होगा तो इससे भी आपको बहुत सहायता मिलेगी.तो चलिए हम आपको बताते है कि कौन सी तार को किस तार से जोड़ा जाता है और किससे नहीं .
अर्थिंग की तार (Electric current shock treatment) ..
अब ये तो मालूम होगा कि सॉकेट में तीन पिन वाले छेद होते है और सॉकेट के ऊपर वाले छेद में लगी मोटी तार को अर्थिंग कहा जाता है . इस सॉकेट में ये अर्थिंग की तार हरे रंग की और न्यूट्रल तार काले रंग की होती है जब कि लाल तार करंट वाली तार होती है . इस तरह आप इन्हें इनके रंग के अनुसार आसानी से पहचान सकते है . अर्थिंग तार का रंग शुरू से ही हरा रखा जाता है .
अब आम तौर पर देखा जाये तो जब करंट वाली तार को न्यूट्रल तार से जोड़ा जाता है, तभी बिजली प्रवाहित होनी यानि आर पार जानी शुरू हो जाती है. लेकिन अगर करंट वाली तार को अर्थिंग मिल जाये तो उससे भी बिजली प्रवाहित होती ही है मगर अर्थिंग तार को न्यूट्रल से जोड़ने के बाद बिजली प्रवाहित नहीं होती. ये समझना थोड़ा मुश्किल जरूर है पर अगर आप इसे एक बार समझ जाये तो उसके बाद आप कई लोगों को करंट लगने की मुश्किल घडी में बचा सकते है .वैसे आपको बता दे कि जिस तरह हरा रंग सुरक्षा का रंग माना जाता है उसी तरह अर्थिंग को भी सुरक्षा के लिए ही लगाया जाता है जो लीक होने वाली बिजली को बिना नुकसान पहुंचाए शरीर के बजाय सीधी जमीन में भेज देती है और इस तरह दुर्घटना होने से टल जाती है.
अर्थिंग की जांच हर छ: महीने बाद जरूर करवाये (Electric current shock treatment)
ध्यान रखे कि अर्थिंग की जांच हर छ: महीने बाद जरूर करवाये, क्योंकि समय और मौसम के साथ यह भी घिसती रहती है, खासकर बारिश के दिनों में इसलिए अर्थिंग को कभी भी हलके में न ले और इसे सुरक्षा तार समझ कर कभी भी नजरअंदाज न करे वरना दुर्घटना हो सकती है . वैसे आप खुद भी इसकी जांच आसानी से कर सकते है . जैसे कि टेस्ट लैंप का प्रयोग करके भी अर्थिंग की जांच हो सकती है . यदि करंट और अर्थिंग वाली तार से बल्ब जलाकर देखा जाये और अगर इन दो तारों के जोड़ने से बल्ब न जले तो समझ लीजिये कि अर्थिंग में पक्का खराबी है .
हमने देखा है कि तारों की सही जानकारी न होने के कारण लोग अक्सर अर्थिंग को हलके में ले लेते हैं और इसका गलत प्रयोग करते हैं . वे करंट वाली और अर्थिंग की तार को अक्सर अस्थायी तौर पर एक साथ जोड़ देते है और उन्हें लगता है कि इससे उनकी बिजली की समस्या खत्म हो जाएगी पर ये खतरनाक भी हो सकता है. इसलिए बिजली की तारों का हमेशा सोच समझ कर ही इस्तेमाल करे .
बिजली के झटको से बचने के लिए हमेशा इन बातों का खास ध्यान रखे (Electric current shock treatment)..
सबसे पहले घर में अर्थिंग की तार की उचित व्यवस्था का ध्यान रखें और इसके बिना कभी भी बिजली उपकरण का प्रयोग न करें . खास कर तब जब इसका प्रयोग पानी के किसी स्त्रोत के लिए किया जा रहा हो क्योंकि पानी करंट के प्रवाह की गति को तेज़ कर देता है . इसलिए नमी वाले स्थान में अतिरिक्त सावधानी रखें . साथ ही ये भी ध्यान रखे कि काम चलाने हेतु कभी भी दो पिन वाले बिना अर्थिंग के उपकरणों का प्रयोग न करें . वैसे इन पर पाबंदी भी लगनी चाहिए ताकि कोई दुर्घटना न हो सके . साथ ही तीन पिन वाले प्लग का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि तीनों तार अच्छे से जुड़े हों और पिन भी खराब न हों .
माचिस की तीलियों का प्रयोग कभी न करें (Electric current shock treatment)
सबसे खास बात ये कि तारों को सॉकेट में लगाने के लिए माचिस की तीलियों का प्रयोग कभी न करें और किसी भी तार को तब तक न छुएं, जब तक बिजली बंद न कर दी गई हो . वरना इससे करंट लगने का खतरा रहता है . अर्थिंग के तार को न्यूट्रल के विकल्प के तौर पर प्रयोग न करें और सभी जोड़ों पर बिजली वाली टेप ही लगाएं, न कि सेलोटेप . बेंडेडगीजर के पानी का प्रयोग करने से पहले गीजर को जरूर बंद कर दें और हीटर प्लेट का प्रयोग भी नंगी तार के साथ न करें . अर्थात जिस तार में प्लग न हो उसे कभी भी इस्तेमाल न करे .
एक घरेलू नुस्खा ये भी है कि घर पर सूखी यानि पानी से गीली न हो वो रबड़ की चप्पलें पहनें . घर पर मिनी सर्कट ब्रेकर और अर्थ लीक सर्कट ब्रेकर का हमेशा प्रयोग करें जो समय आने पर बिजली के प्लगों को कोई नुकसान न पहुंचा सके .
फ्रिज के हैंडल पर भी कपड़ा बांध कर रखें
मैटेलिक बिजली के उपकरण यानि मेटल की चीज़े कभी नल के पास मत रखें . रबड़ के मैट और रबड़ की टांगों वाले कूलर स्टैंड बिजली के उपकरणों को सुरक्षित बना सकते हैं . केवल सुरक्षित तारों और फ्यूज का ही प्रयोग करें . वैसे आप किसी भी आम टैस्टर से करंट के लीक होने का पता लगा सकते है . फ्रिज के हैंडल पर भी कपड़ा बांध कर रखें . हमेशा इस बात का ध्यान रखे कि प्रत्येक बिजली उपकरण के साथ जो निर्देश बताये जाते है वो जरूर पढ़े .
यूएस में प्रयोग होते 110 वोल्ट की तुलना में भारत में 220 वोल्ट का प्रयोग होने के कारण यहाँ करंट से मौत की दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं और डीसी की तुलना में एसी करंट ज्यादा खतरनाक होता है और आपको जान कर हैरानी होगी कि 10 एमए से ज्यादा का एसी करंट इतनी ज्यादा मजबूती से हाथ पकड़ लेता है कि हाथ हटा पाना असंभव हो जाता है . इसलिए अपनी सुरक्षा का हमेशा ध्यान रखे .
करंट लगने के बाद 5 मिंट के अंदर ही करे ये खास उपाय तो बच सकती है जान (Electric current shock treatment)..
यदि आपको करंट लग भी जाये तो करंट लगने की इस हालत में उचित तरीके से इलाज करना बेहद जरूरी होता है.. इसलिए सबसे पहले मेन स्विच बंद कर दें या तारें लकड़ी के साथ उस व्यक्ति के पास से हटा दीजिये पर कभी भी उस व्यक्ति को बिजली से बचाने के लिए अपने हाथों का इस्तेमाल न करे इससे आपको भी झटका लग सकता है .
कार्डियो प्लमनरी सांस लेने की प्रक्रिया तुरंत ही शुरू कर दें . क्लीनिक तौर पर यानि चिकित्सक तौर पर एक मृत व्यक्ति की छाती में एक फुट की दूरी से ही एक जोरदार धक्के से उसे होश में लाया जा सकता है . डॉ. अग्रवाल ने भी बताया है कि एकदम तेज करंट लगने से क्लिनिकल मौत 4 से 5 मिनट के अंदर ही हो जाती है .
इसलिए कोई भी उपाय करने के लिए समय बहुत कम होता है. ऐसे में मरीज को अस्पताल ले जाने का भी समय नहीं होता इसलिए वहीं पर उसी समय इस उपाय का इस्तेमाल करे और उस व्यक्ति के हृदय को अच्छे से दबा कर छाती से धक्का दीजिये ताकि आपकी इस उम्मीद भरी कोशिश से किसी की जान बच सके .
यू तो मरना किसी को पसंद नहीं पर मौत पर किसी का बस नहीं . ऐसे में अगर आप किसी को जीवन देकर ख़ुशी दे सके तो इससे आपका भी भला ही होगा . तो इस तकनीक को समझिये और सुरक्षा का हमेशा ध्यान रखिये .