आज भी इस वजह से खौफजदा है पाकिस्तान, जाने सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी, एक्स आर्मी चीफ के जुबानी
नई दिल्ली: आपको भारतीय सेना के बारे में कुछ भी बतानें की जरुरत नहीं है। भारतीय सेना जज्बे और साहस से भरी हुई है, इसके लिए किसी उदहारण की जरुरत नहीं है। दुनिया के सबसे दुर्गम युद्धक्षेत्र सियाचिन में भारतीय सेना ऐसी परिस्थिति में रहती है, जहाँ रहनें के बारे में कोई साधारण इंसान सोच भी नहीं सकता है। समय-समय पर भारतीय सेना ने अपनी काबिलियत को दुनिया के सामने पेश भी किया है।
पाकिस्तानी आतंकी डर गए पूरी तरह से:
आज से लगभग एक साल पहले 28-29 सितम्बर 2016 की रात भारतीय सेना एक बहुत ही अहम मिशन को अंजाम देने में लगी हुई थी। जी हाँ आप सही समझे, भारतीय सेना पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे रही थी। भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान और वहाँ पनपने वाले आतंकी पूरी तरह से डर गए। पिछले एक साल से पाकिस्तान सीमा पर कोई बड़ी घटना इसी वजह से नहीं हुई है। ऐसा कहना था सेना के पूर्व प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग का।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी है भारत की प्रतिष्ठा:
जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने एक प्रेस एजेंसी से बात करते हुए कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक राष्ट्रीय गौरव की घटना रही है। इससे भारत की प्रतिष्ठा अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई गुना बढ़ी भी है। सर्जिकल स्ट्राइक काफ़ी सफल रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक करनें के लिए निर्णय देकर पीएम ने काफी बहादुरी दिखाई थी। उन्होंने बताया कि जून 2015 में म्यांमार में भी सर्जिकल स्ट्राइक किया गया था, इसके एक साल बाद 2016 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक किया गया।
पिछले 20 सालों में किया गया सबसे बड़ा हमला था उड़ी में:
ज्ञात हो कि पिछले साल 18 सितम्बर 2016 को पाकिस्तानी आतंकियों ने उड़ी में सेना के कैम्प पर हमला कर दिया था। इस आतंकी हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, हालांकि सभी चार आतंकियों को भी मार गिराया गया था। उस आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने 28-29 सितम्बर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे दिया। पिछले 20 सालों में भारतीय सेना पर किया गया यह सबसे बड़ा हमला था।
उड़ी हमले के पीछे पाकिस्तान में छुपे हुए आतंकियों का हाथ था। योजना बनाकर भारतीय सेना के कैम्प पर फिदायीन हमला किया गया। आतंकियों ने सो रहे निहत्थे जवानों पर हमला कर दिया। आतंकियों का इरादा ज्यादा से ज्यादा जवानों को मारना था। आतंकियों की यह योजना थी कि प्रशासनिक ब्लॉक में मेडिकल एड यूनिट में घुसकर खून-खराबा के साथ ऑफिसर्स मेस में घुसकर खुद को उड़ा लेना था। लेकिन आतंकी अपने इस मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए।