एशिया का पहला हैंड ट्रांसप्लांट कर भारतीय चिकित्सकों ने दिखाया कमाल.. लड़की को लगाया लड़के का हाथ
आजकल के तकनीकि और विज्ञान के युग में लोगों के लिए के असली भगवान डॉक्टर्स ही हैं जो अपनी कुशलता से गम्भीर से गम्भीर रोगों का इलाज कर लोगों को नया जीवन देते हैं। किसी दुर्घटना या घातक बीमारी का शिकार होने के बाद जब इंसान की सारी उम्मीद खत्म सी हो जाती है तब उन्हें जीवन में वापस लाने का हुनर चिकित्सक ही दिखाते हैं । ऐसा ही कुछ कमाल कर दिखाया है भारतीय चिकित्सकों ने जहां दुर्घटना में दोनो हाथ खो बैठी लड़की को लड़के का हांथ लगाकर वापस जीने की वजह दी है। साथ ही ये एशिया का पहला हैंड ट्रांसप्लांट भी है जिसे करने का गौरव भारत को मिला है।
महाराष्ट्र के पुणे में एक 19 साल की लड़की को इस ट्रांसप्लांट के जरिए नई जिंदगी मिली है।इस लड़की ने दोनों हाथ एक एक्सीडेंट में गंवा दिए थे। अब उसको एक लड़के के डोनेट किए हुए आर्म (कोहनी के नीचे के हाथ) लगाए गए हैं जिससे आने वाले दिनों में लड़की खुद अपने काम कर पाएगी।
एक्सीडेंट में दोनो हांथ खोने का बाद खो बैठी थी जीवन की उम्मीद
दरअसल, पिछले साल सितम्बर में इंजीनियरिंग की छात्रा श्रेया सिद्दनागौड़ श्रेया पुणे से मनीपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बस से जा रही थीं कि अचानक उनकी बस का एक्सीडेंट हो गया और वो बुरी तरह जख्मी हो गई. इस हादसे में श्रेया के दोनों हाथ बेकार हो गए थे. श्रेया सिद्दनागौड़ असहाय होकर अपनी आंखों के सामने अपनी जिंदगी को अपने हाथों से फिसलता देख रही थीं। लेकिन जब उनके परिजनों ये पता चला कि बेटी का हैंड ट्रांसप्लांट हो सकता है तो उनके जीवन में नयी उम्मीद जगी और इस उम्मीद के साकार कर दिखाया कोच्चि के डॉक्टरों की एक टीम ने ।
हेड-डॉक्टर की दिशा निर्देश में 36 डॉक्टरों की टीम ने किया सफल हैंड ट्रांसप्लांट
श्रेया का ये हैंड ट्रांसप्लांट ऑपरेशन कोच्चि के अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्स के प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव विभाग ने किया है । ये ऑपरेशन हेड-डॉक्टर सुब्रह्मन्यम अईय्यर के दिशा-निर्देशन में किया गया जिसमे 20 सर्जन और 16 एनस्थेटिस्ट शामिल थे। डॉक्टरों की माने तो ये ऑपरेशन करीब 13 घंटों तक चला, जिसके बाद डॉक्टरों ने श्रेया के हाथ लौटाने में सफलता पाई। इसके साथ ही ऐसा दावा किया जा रहा है कि ये एशिया की पहली ऐसी सर्जरी है जिसमें उनके कोहनी से नीचे के हाथों की जगह 20 साल के लड़के का हाथ लगाया गया है।
इस सफल ट्रांसप्लांट के बाद श्रेया काफी खुश है और कहती हैं, ‘मैं खुश हूं कि अब मेरे पास हाथ हैं। कैसे दिखते हैं इससे फर्क नहीं पड़ता। मैं फिर से अपने हाथों का इस्तेमाल करके जल्द से जल्द आत्मनिर्भर होना चाहती हूं।’