आज नवरात्री के आख़िरी दिन इस मंत्र से करेंगे देवी की पूजा तो आप के लिए खुल जाएंगे सुख समृद्धि के द्वार
आज शारदीय नवरात्री की नवमी पड़ रही है, आज के दिन माता दुर्गा के आख़िरी रूप की पूजा की जाती है। माता दुर्गा के आख़िरी रूप देवी सिद्धिदात्री का विधिवत पूजन आज के दिन किया जाता है। माना जाता है कि देवी सिद्धिदात्री का आधिपत्य केतु ग्रह पर है। यह भी माना जाता है कि देवी सिद्धिदात्री का रूप देह त्याग चुकी उस आत्मा की तरह है जो जीवन में सर्वसिद्धि प्राप्त कर चुकी है और परमेश्वर में विलीन हो गयी है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, व वशित्व ये सभी आठों सिद्धियाँ देवी सिद्धिदात्री से ही उत्पन्न हुई हैं।
भगवान शंकर ने किया अर्धनारीश्वर का रूप धारण:
भगवान शंकर ने इन्ही से मिलकर सर्वसिद्धियों को प्राप्त कर अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया था। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार माता सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं और इनकी उपरी दाई भुजा में चक्र है, जिससे यह सम्पूर्ण विश्व में जीवन चक्र चलाती हैं। देवी की निचली दाई भुजा में गदा है। माता की उपरी बायीं भुजा में शंख है, जिससे वह पुरे विश्व में धर्म की स्थापना करती हैं। माता की निचे वाली बायीं भुजा में कमल का फूल है, जिससे यह सम्पूर्ण जगत का पालन करती हैं।
पुरे विश्व में प्रदान करती है रिद्धि-सिद्धि:
कमल के आसन पर विराजमान देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है। माता विभिन्न प्रकार के स्वर्ण आभूषणों से सजी हुई लाल रंग के वस्त्र धारण करती हैं। माता दुर्गा अपने सिद्धिदात्री रूप में पुरे विश्व को रिद्धि-सिद्धि प्रदान करती हैं। देवी सिद्धिदात्री की साधना का सम्बन्ध छाया वाले ग्रह केतु से माना जाता है। कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में केतु का सम्बन्ध द्वादश और द्वितीय भाव से होता है। देवी सिद्धिदात्री की साधना का सम्बन्ध व्यक्ति के हानि, सौभाग्य, सिद्धि, व्यय, धन, मोक्ष और सुख से है।
वास्तुपुरुष सिद्धांत के अनुसार देवी सिद्धिदात्री की दिशा आकाश को संबोधित करती है। घर का वह स्थान जहाँ छत, उपासना घर, उपवन या तिराहे-चौराहे होते हैं। यह भी कहा जाता है कि देवी सिद्धिदात्री की साधना करनें से कर्म, सन्यास, ज्योतिष, कर्मकांड, धर्मशास्त्र से जुड़े हुए लोगों को काफी फायदा होता है। देवी सिद्धिदात्री की आरधना करने से अष्टसिद्धि व नवनिधि की प्राप्ति होती है।
आज नवरात्री के आख़िरी दिन पुरे देश में हर्षोल्लास का माहौल देखा जा सकता है। जहाँ-जहाँ माँ दुर्गा के पंडाल लगे हुए हैं, वहाँ भारी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। आज के दिन सभी भक्त माता के आख़िरी रूप सिद्धिदात्री की पूजा करके पुरे वर्ष के लिए उनसे आशीष प्राप्त करते हैं। माता के आशीर्वाद से किसी भी व्यक्ति के जीवन में बहार आ जाती है। व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियों का अंत हो जाता है। आज के दिन माता की पूजा इस मंत्र के साथ करें।
विशेष मंत्र:
सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥