अस्थमा अटैक से बचने के ये हैं उपाय, पीड़ित भी जी सकता है सामान्य जीवन
अस्थमा एक गम्भीर बामारी है ..साथ ही इसका कोई कोई स्थायी इलाज भी नही होता है …बस इससे पीड़ित व्यक्ति उचित सावधानी बरतकर इससे बचाव कर सकता हैं।अस्थमा में फेफड़ो तक सही मात्रा में आक्सीजन नहीं पंहुच पाता और सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसा तब होता है जब धूल के कण आक्सीजन ले जाने वाली नलियों को बंद कर देते हैं, ऐसा ठंड या एक्सरसाइज से भी हो सकता है। अस्थमा अटैक रात या दिन कभी हो सकता है। इसलिए बेहतर यही है इसके रोगी को इससे बचने के उपाए पता होने चाहिए…आज हम आपको इससे बचाव के उपायों के बारे में बता रहे हैं।
1 अक्सर अस्थमा का अटैक पड़ने पर रोगी घबरा जाता है जबकि ऐसा नही करना चाहिए क्योंकि घबराने से मांस पेशियों पर तनाव बढ़ता है जिससे की सांस लेने में परेशानी बढ़ सकती है।
2 अटैक पड़ने पर सांस लेने में तकलीफ होती है तो हिम्मत न हारें और मुंह से सांस लेते रहें, फिर मुंह बंद करके नाक से सांस लें। धीरे धीरे सांस अन्दर की तरफ लें और फिर बाहर की तरफ छोड़े।
3 पूरी सांस लेने की कोशिश करें ..सांस अन्दर की तरफ लेने और बाहर की तरफ छोड़ने के बीच में सांस न रोकें ।
4 पीक फ्लो मीटर की मदद से अपने अटैक की स्थिति नापें। पीक फ्लो मीटर सस्ते इन्सट्रुमेट हैं जिनसे अटैक की स्थिति का पता चलता है।
5 अगर हो सके तो इन्हेलेन्ट का प्रयोग करें और कोशिश करें हर 20 मिनट पर दो बार इन्हेलेन्ट का प्रयोग करने की।
6 अपने ट्रीटमेंट के रिस्पांस को परखें। खराब रिस्पांस तब होता है जब आपको खांसी आयें। अच्छा रिस्पांस तब होता है जब आपको सांस लेने में अच्छा लगे और आराम महसूस हो।
7 अगर आपको सांस लेने में परेशानी बढ़ती जा रही है तो तुरंत धूल वाली जगह से दूर हट कर खड़े हो जायें।
गौरतलब है कि अस्थमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन कुछ सावधानियों और बचाव के जरिए इस पर नियंत्रण जरूर किया जा सकता है और दमे से पीड़ित व्यक्ति भी सामान्य जीवन जी सकता है।