इससे पहले कि सब कुछ भूल जाए.. इन लक्षणों से पहचाने अल्जाइमर के खतरे को
अल्जाइमर, एक ऐसी बीमारी जिसमे इन्सान धीरे धीरे अपनी याददाश्त खो देता है यहां तक कि इसका असर शारीरिक हावभाव और व्यवहार क्षमता पर भी पड़ता है और इंसान बोलने और खुद को सम्भालने की क्षमता भी खोने लगता है। साथ ही ये बीमारी इसलिए भी बेहद गम्भीर है क्योंकि इसका कोई स्थायी इलाज नही है ..पर समय रहते ही अगर इसकी पहचान हो जाए तो इस काबू पाना सम्भव है। आज हम आपको इस खतरनाक दिमागी रोग के उन लक्षणों के बारे में बता रहे हैं जिनसे कि आप इसे आसानी से पहचान सकते हैं।
अल्जाइमर मानसिक बीमारी है जो धीरे-धीरे होती है। इसकी शुरूआत मस्तिष्क के स्मरण-शक्ति को नियंत्रित करने वाले भाग में होती है और जब यह मस्तिष्क के दूसरे हिस्से में फैल जाता है तब भावों और व्यवहार की क्षमता को प्रभावित करने लगता है। अमूमन 60 वर्ष की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी के कुछ ऐसे संकेत हैं, जिससे आप इसके खतरे को भांप सकते हैं।
भूलने की आदत
अल्जाइमर की शुरूआती लक्षण भूलने की समस्या है..इंसान व्यक्ति,उनके नाम,अपनी आस पास की चीजें भूलने लगता है..यहां तक की इससे हमेशा के लिए भी याददाश्त जा सकती है।
असंतुलित भावभंगिमा और व्यवहार
व्यक्ति अपनी शरीर पर नियन्त्रण खो देता है इसलिए उसकी भावभंगिमा बदल जाती है..उसे अपने दैनिक कार्यों को करने में भी कठिनाई महसूस होती है।
निर्णय लेने में असमर्थ होना
चूकि इसका असर व्यक्ति के मानसिक क्षमता पर पड़ता है इसलिए उसकी तार्किक शक्ति भी कमजोर पड़ जाती है और आप साधारण परिस्थितियों में भी निर्णय़ नही बना पाते हैं।
बोलने में दिक्कत
इसका एक मुख्य लक्षण ये भी है कि पीड़ित व्यक्ति को बोलने में दिक्कत पेश आती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वो शब्दों या अक्षरों का ज्ञान ही भूल जाता है और फिर उनका प्रयोग कर अपनी बात नही रख पाता।
भ्रम पालना
अल्जाइमर के पेशेंट अक्सर भ्रम में जीना शुरू कर देते हैं जैसे कि वो उन चीजों के बारे में सोचते हैं जो कि वास्तव में होते ही नही हैं।
मानसिक संतुलन खोना
इसमें धीरे धरे इंसान मानसिक संतुलन भी खोने लगता है .. अत्यधिक चिंता और भय के कारण व्यक्ति में उन्माद बढ़ता है। इसके कारण भम्र बढ़ता है और आप भावुक, संदिग्ध, चिड़चिड़े, अंतर्मुखी, उदास, जिद्दी, ईर्ष्या, स्वार्थी, एकांतप्रिय और कड़वे स्वभाव के हो जाते हैं।