19 वर्षीय इस युवती ने अन्धविश्वास के नाम पर ये क्या कर डाला…!
जो लोग बिना तर्क की बातों में विश्वास करतें है उन्हें अंधविश्वासी कहा जाता है। यह अन्धविश्वास काली बिल्ली के रास्ता काटने से लेकर कुछ भी हो सकता है। ऐसी बातों के प्रति हमने उन्ही लोगों का रुझान देखा है जिनमें तर्कशक्ति की कमी होती है और जो अपनी समस्याओं का हल तुरंत और किसी भी हालात में चाहतें हैं। हमने देखा हैं कि ऐसा करने वाले ज्यादातर लोग अशिक्षित होतें हैं, लेकिन क्या होता है जब कोई साक्षर ऐसी बातों पर दिल से यकीन कर बैठता है….!
आरती दुबे, जो मध्य प्रदेश में टीआरएस कॉलेज में से स्नातक छात्र है। आरती का कहना है कि उसके सपने में काली माँ आयी थी और उन्होंने उससे उसकी जीभ का बलिदान देने के लिए कहा और बदले में उसकी सभी मनोकामनाओं को पूरा कर देने की बात भी कही। इसीलिए आरती ने इस चरम बलिदान को देने का निर्णय किया था।
आरती के भाई सचिन ने उनकी इस हरकत पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि उसने मुझे बताया था कि उसे कैसे सपने आ रहें है लेकिन मुझे इसका यकीन नहीं था कि वह इस बात पर कोई प्रतिक्रिया भी देगी।
“मैंने कई अनपढ़ और अंधविश्वासी लोगों को अपने शरीर के अंगों की पेशकश करके देवताओं को खुश करने के बारे में सुना है। लेकिन, मैंने कभी नहीं सोचा कि मेरी अपनी कॉलेज जाने वाली बहन भी इतनी अंधविश्वासी हो सकती है। ”
अपनी जीभ काटने के बाद आरती एकदम से बेसुध पड़ गयी। हालाँकि पुजारी और अन्य लोगों ने उसे घेर रखा था और डॉक्टर को बुलाने की बजाय उसके लिए प्रार्थना कर रहें थें।
दर्शकों और श्रद्धालुओं के लिए सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि आरती थोड़ी ही देर में उठ गयी और अपने चेहरे पर एक मुस्कान के साथ बाकी के अनुष्ठानों को समाप्त किया।
घटना की खबर मिलते ही पुलिस और डॉक्टरों ने उसका उसे प्राथमिक उपचार किया।
स्थानीय पत्रकार श्याम मिश्रा का कहना है कि, ” ऐसा कई बार हुआ है जब लोग अपनी इच्छाओं को प्राप्ति के लिए दैविक शक्तियों का सहारा लेतें है और ईश्वर को खुश करने के लिए अपने शरीर के अंगों का बलिदान करतें हैं। लेकिन इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि लड़की शिक्षित थी। अनपढ़ लोगों का अंधविश्वासी होना स्वाभाविक है। लेकिन जब शिक्षित लोग अंधविश्वासी हो जायेंगे तो यह समाज के लिए किसी भी रूप में अच्छा नहीं है।”