भारत आज भी कहलाता ‘सोने की चिड़िया’ अगर इन 5 लोगों ने नहीं की होती देश से गद्दारी
कभी हमारे देश को सोने की चिड़िया भी कहा जाता था. पर भारत देश का ये नाम यूं ही नहीं पड़ा. हमारी उत्पत्ति से अंग्रेजों के समय तक हम वाकई सोने की चिड़िया से कम नहीं थे. हमारी उत्पत्ति सिन्धु घाटी सभ्यता से ही मानी जाती है. इस सभ्यता के दौरान अनेकों चीज़ें मिली जो किसी के पास नहीं थीं. उस वक़्त पानी के निकासी की जो व्यवस्था थी वह आज के समय में किसी भी देश के पास होना नामुमकिन है. भारत शुरू से ही एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर कृषि और खनिज पदार्थों की मात्रा इतनी अधिक थी कि लोगों के लिए सोना पैदा करती थी. इतनी तरक्की के बावजूद आज हालात वैसे नहीं हैं और इसका सबसे बड़ा कारण युद्ध है. भारत पर होने वाले आक्रमण के दौरान हमें खूब लूटा गया. आज हम आपको उन लोगों के बारे में बताएंगे जिन्होंने हमारे देश के साथ गद्दारी की. यदि इन लोगों ने गद्दारी ना की होती तो हमारा देश आज भी सोने की चिड़िया कहलाता.
कौन थे वो गद्दार लोग
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जयचंद
पृथ्वीराज के शासनकाल में मोहम्मद गौरी ने कई बार आक्रमण किये थे. इतने आक्रमण करने के बावजूद उसे कामयाबी नहीं मिली. वहीँ कन्नौज के राजा जयचंद भी पृथ्वीराज से बदला लेने चाहते थे. इसलिए जयचंद ने मोहम्मद गौरी का साथ दिया. जयचंद का साथ मिलने के बाद साल 1192 में मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज के साथ युद्ध किया जिसमें उसे सफलता मिली.
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मान सिंह
महाराणा प्रताप एक कुशल राजनीतिज्ञ, आदर्श संगठनकर्ता और देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने को तत्पर रहने वाले महान सैनानी थे. उन्हें कभी भी मुग़लों की ग़ुलामी करना स्वीकार नहीं था. लेकिन मानसिंह एक ऐसा गद्दार निकला जिसने पद की खातिर खुद को मुग़लों के हाथों बेच दिया.
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मीर जाफ़र
मीर जाफ़र ने ही हमें अंग्रेज़ों का ग़ुलाम बना दिया था. अगर मीर जाफ़र नहीं होता तो हमारा देश अंग्रेज़ों का गुलाम कभी नहीं बनता. मीर जाफ़र ने साल 1757 प्लासी युद्ध के दौरान सिराजुद्दौला को हराने के लिए अंग्रेज़ों से हाथ मिला लिया था.
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मीर क़ासिम
अंग्रेज़ों ने पहले मीर जाफ़र की मदद कर सिराजुद्दौला को हटाया था. बाद में उन्होंने मीर जाफ़र को हटाने के लिए मीर क़ासिम का इस्तेमाल किया. गद्दी मिलने के बाद मीर क़ासिम को अपनी ग़लती का एहसास हुआ और तब तक वह सब कुछ गंवा बैठा था..
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मीर सादिक़
दुश्मन जब कोई अपना निकल आये तब हार निश्चित है और यह कहावत बिल्कुल सच निकली. ऐसा ही कुछ भारत के महान योद्धा टीपू सुल्तान के साथ हुआ. टीपू सुल्तान के अपने ख़ास मंत्री ने ही अंग्रेज़ों से हाथ मिला लिया, नतीजतन 1779 के युद्ध में टीपू सुल्तान की हार हुई.
तो ये थे भारत के गद्दार जो अगर गद्दारी नहीं करते तो अंग्रेज़ कभी हमें अपना गुलाम नहीं बना पाते. अपने-अपने फ़ायदे के लिए इन लोगों ने देश के साथ गद्दारी की जिसकी सज़ा हम आज भी कहीं ना कहीं काट रहे हैं.