नवरात्री स्पेशल: 60 साल के बाद बनने वाला महासंयोग देगा हर प्रकार की सिद्धि, जानिये कैसे
इस साल नवरात्री 21 सितंबर से शुरू होने जा रही है और इस बार यह पर्व महासंयोग लेकर आ रहा है. हम आपको बता दें कि इस बार पूर्ण नवरात्री का संयोग पूरे 60 साल बाद बन रहा है. इसका मतलब एक-एक दिन एक ही तिथि पड़ेगी. पिछले कई साल से दोपहर तक एक ही तिथि हुआ करती थी और दोपहर के बाद दूसरी तिथि शुरू हो जाती थी. पर इस साल पूरे नवरात्री भर किसी भी दिन दो तिथि नहीं पड़ रही है. इसलिए भक्त लोग हर दिन अलग-अलग देवियों की पूजा कर सकते हैं. यह संयोग 60 साल के बाद आ रहा है इसलिए इसे बहुत शुभ माना जा रहा है. मां दुर्गा का आगमन पालकी में बैठकर होगा और पालकी में बैठकर वह वापस भी जाएंगी.
हस्त नक्षत्र से शुरू हो रही है नवरात्री
पंडित ओम वशिष्ठ के मुताबिक माता का पहले दिन होने वाला आगमन मनुष्य को हर प्रकार की सिद्धि देता है. गुरुवार के दिन हस्त नक्षत्र में घट स्थापना के साथ शक्ति उपासना का पर्वकाल शुरू होगा. यदि हस्त नक्षत्र में यानी गुरुवार को देवी आराधना का पर्व शुरू किया जाए तो देवी कृपा और ईष्ट साधना के लिए बेहद शुभ माना जाता है.
किस दिन कौन से वाहन पर सवार होकर आती हैं माता
देवी भागवत के अनुसार नवरात्री के शुरवात से अंत तक माता अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती और जाती हैं. आईये जानते हैं किस दिन कौन सा वाहन बनता है माता की सवारी.
आगमन का वाहन
- रविवार और सोमवार के दिन माता की सवारी हाथी को माना गया है.
- शनिवार और मंगलवार के दिन मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं.
- गुरुवार और शुक्रवार को माता की सवारी पालकी होती है.
- बुधवार को मां नौका से आती हैं.
प्रस्थान का वाहन
- रविवार और सोमवार के दिन मां भैंसे पर बैठकर प्रस्थान करती हैं.
- शनिवार और मंगलवार के दिन शेर पर बैठ कर.
- बुधवार और शुक्रवार के दिन प्रस्थान का वाहन हाथी होता है.
- गुरुवार के दिन नर वाहन पर.
नौ दिनों तक विशेष योग
- 21 सितंबर- प्रतिपदा, घटस्थापना, हस्त नक्षत्र योग
- 22 सितंबर- द्वितीय, रवियोग
- 23 सितंबर- तृतीय, रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग
- 24 सितंबर- चतुर्थी, रवियोग
- 25 सितंबर—पंचमी, रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग
- 26 सितंबर- षष्ठी, रवियोग
- 27 सितंबर- सप्तमी, रवियोग
- 28 सितंबर- दुर्गाअष्टमी महापूजा
- 29 सितंबर- महानवमी रवियोग
- 30 सितंबर- विजयादशमी, रवियोग व सर्वार्थसिद्धि योग