माँ चिंतपूर्णी के दर्शन से मिट जाते हैं जीवन के सभी कष्ट, नवरात्री के पहले दिन करें लाइव दर्शन
आज से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। आज से अगले नौ दिनों तक माँ के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाएगी। माता नवरात्री के समय में अपने सभी भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण कर देती हैं। माता की सच्चे मन से आराधना करनें वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ नहीं रहता है। माता उसके जीवन के सभी कष्टों को हर लेती हैं। नवरात्री के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
माता के दर्शन को लगा रहता है भक्तों का ताँता:
हिमांचल प्रदेश के उना जिले में स्थित उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध सिद्ध पीठ श्री छिन्नमस्तिका चिंतपूर्णी धाम देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ माता सती का चरण गिरा था। इस शक्तिपीठ में माता के पिंडी रूप का दर्शन करनें के लिए हर समय भक्तों का ताँता लगा रहता है, लेकिन नवरात्री के समय में इस धाम की और महत्ता बढ़ जाती है। इस वजह से यहाँ नवरात्री में देश-विदेश से श्रद्धालु माता के दर्शन को आते हैं।
वैसे तो नवरात्री के समय में देश में जगह-जगह माता के पंडाल लगाकर पूजा-अर्चना की जाती है। उन जगहों पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। माता की पूजा कुछ जगहों पर बड़े धूम-धाम से की जाती है। माता चचिंतपूर्णी के धाम में हर महीनें की संक्रांति, नवरात्र और रविवार के दिन आमतौर पर भक्तों का मेला लग जाता हैसावन अष्टमी के दौरान यहाँ 9 दिनों का बहुत बड़ा मेला लगता है। माता चिंतपूर्णी का यह धाम तेजी से धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है।
यहाँ माता के दर्शन के लिए भक्त गाड़ियों, साइकिलों, पैदल ढोल-नगाड़ों के साथ माता का जयघोष करते हुए आते हैं। भक्तों की अपार श्रद्धा देखकर माता अपने आशीर्वादों से उनके जीवन को धन्य कर देती हैं। माता चिंतपूर्णी के दरबार के सामनें एक तालाब है। ऐसा कहा जाता है कि माँ ने अपने भक्त मतिदास को कन्या के रूप में दर्शन देकर कहा कि मैं वट वृक्ष के नीचे हमेशा पिंडी रूप में विराजमान रहूंगी। थोड़ी नीचे जाकर तुम एक पत्थर उखाड़ना और वहां से निकलनें वाले जल से मेरी पूजा-अर्चना करना।
माता के भक्त मतिदास ने बिलकुल वैसा ही किया। वहां से निकलनें वाला जल धीरे-धीरे आज तालाब में बदल गया है। मतिदास उस समय उसी जल से माता चिंतपूर्णी की पूजा-अर्चना किया करते थे। उसी समय से लेकर आज तक वहां से लगातार जल निकल रहा है। आज भी पिंडी की पूजा के लिए वहीँ से जल लाया जाता है। बाद में उस जगह पर महाराजा रणजीत सिंह के एक दीवान ने खुबसूरत तालाब बनवा दिया।
लाइव करें माता के दर्शन:
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