हरियाणा की इस नहर में बहती हैं लाशें, बरामद हो चुके हैं 46 हज़ार शव
नदियां और नहरे जीवन की धारा लेकर बहती हैं… हमारे कृषि प्रधान राष्ट्र में तो फसलों और किसानो के लिए ये जीवन का संकेत है पर इसी देश में एक ऐसी नहर भी बहती है जो जीवन नही मौत का सैलाब लेकर बहती है।लोग यहां जीवन का आस लेकर नही बल्कि अपने बिछड़े परिजनों की आखिरी निशानी ढूढ़ने आते हैं।क्योंकि इस नहर की पहचान ही कुछ ऐसी बन चुकी है। या ये कह लें कि ये समाज में बढ़ते अपराध की देन है कि एक जीवनदायनी नदी लाशों का कुण्ड बन चुकी है।
हम बात कर रहे हैं हरियाणा के एक ऐसे नहर की जहां का पानी कम होते ही हज़ारों लोगों की लाशे पानी पर तैरती नज़र आती है।मौत का मंजर खुलेआम दिखता है पर ना तो लोगों को कोई चिन्ता है और ना ही वहां की प्रशासन इसकी सुध लेती है। अब आप खुद सोच सकते हैं कि अपराधों का यह सिलसिला किस हद तक बढ़ चुका है। ये अपराधों को मिली मौन स्वीकृति है कि देशभर के हत्यारे किसी की भी हत्या कर शवों को इस नहर में फैंक देते हैं ताकी वे अपने गुनाह पर पर्दा डाल सकें।
शवों को पहचान के लिए देशभर से आते हैं लोग
हरियाणा में स्थित ज़ींद के नरवाना की सिरसा ब्रांच नहर (भाखड़ा) में मिलने वालें शवों को पहचाने के लिए देशभर से लोग यहां आते हैं। राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल व हरियाणा जैसे राज्यों से लोग यहां आते हैं ताकि उनके परिवार से लापता हुए सदस्य को ढ़ूंढ सके। उन्ही बेबस और लाचारा लोगों में से एक हैं सुखपाल के 70 वर्षीय पिता। नहर से जब भी कोई लाश बरामद होती है तो वे अपनी बूढ़ी हड्डियों के साथ वहां पहुंच जाते हैं यह सोचकर कि शायद इस बार उनका बेटा मिल जाए। सुखपाल 3 माह पहले अपने घर से लापता हो गया था, घरवालों का कहना है कि उसे मार कर नहर में फैंक दिया गया था। और तभी से वे लोग उसके आखिरी दर्शन की आस में बैठे हैं। सुखपाल के ज़िंदा लौटने की आस तो वे खो ही चुके हैं लेकिन उसके अंतिम दर्शन की उम्मीद में वे अक्सर यहां आ जाया करते हैं।
ये दुर्दशा केवल सुखपाल के पिता की ही नहीं ल्कि यहां आने वाले हर मां-बाप की होती है जो कि यहां अपने बच्चों की खोज में यहां आते हैं।
लाशों के आंकड़े हैं दंग करने वाले
पिछले कुछ सालों में यहां पाए जाने वाले शवों के आंकड़े सुनकर अच्छे से अच्छे इंसान के भी होश उड़ जाते हैं, बता दें कि पिछले 26 सालों में यहां से तकरीबन 46 हज़ार (46000) लाशें बरामद हो चुकी हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी पिछले 3 सालों में इस नहर से 1770 लाशें बरामद हो चुकी हैं, लेकिन फिर भी अभी तक प्रशासन की नींद नहीं उड़ पाई है। इनमें से अब तक केवल 355 शवों की शिनास्त हुई है बाकी के मृतकों की अब तक कोई पहचान नहीं हो पाई है। बता दें कि 3 साल पहले इस नहर से सिर्फ 150-200 डेड बॉडीज़ मीलती थी लेकिन इन तीन सालों में यह संख्या 3 गुणा तक बढ़ गई है।