अजीब परम्परा: इस जगह दशहरे पर राम की नहीं बल्कि होती है रावण की पूजा, निकलती है भव्य शोभायात्रा
इलाहबाद: कुछ ही दिनों में नवरात्री शुरू होने वाली है। नवरात्री के आख़िरी दिन दशहरा मनाया जाता है। उस दिन पुरे देश में रावण का पुतला जलाया जाता है। अभी से देश में उसकी तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। भले ही पुरे देश में दशहरे के दिन रावण का पुतला जलाया जाता हो, लेकिन संगम नगरी इलाहबाद में इसके विपरीत परम्परा है। जी हाँ, वहाँ दशहरे के दिन रावण को जलाया नहीं बल्कि उनकी पूजा की जाती है। भव्य शोभायात्रा निकालकर दशहरा शुरू किया जाता है।
इस बार भी बनी रही झाकियां लोगों के आकर्षण का केंद्र:
इस शोभायात्रा की चमक देखते ही बनती है। बैंड-बाजों और झालरों से सजी हुई शोभायत्रा जब लोगों के मोहल्ले से गुजरती है तो लोग भी दिल खोलकर उसका स्वागत करते हैंइस साल शोभा यात्रा में शामिल डेढ़ दर्जन से ज्यादा झाकियां लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही। रावण के बारात के नाम से निकाले जानें वाले इस शोभायात्रा के साथ ही दशहरा उत्सव शुरू हो चुका है। आपको बता दें इलाहबाद में रावण की पूजा उनकी विद्वता की वजह से की जाती है।
नहीं जलाया जाता दशहरे के दिन रावण का पुतला:
रावण की सवारी के ठीक आगे उनकी सेना करतब दिखाते हुए चलती है। जब रावण की यात्रा उनके परिवार वालों के साथ निकलती है तो विजय धुनों के साथ फूलों की बारिश देखकर ऐसा लगता है, जैसे एक बार फिर रावण तीनों लोगों पर विजय प्राप्त करनें के बाद लौटे हैं। उनकी विद्वता की वजह से लोग उनकी पूजा करते हैं। यहाँ तक की दशहरे के दिन रावण का पुतला भी नहीं जलाया जाता है।
इलाहबाद में सदियों से मनाई जा रही है यह परम्परा:
यहाँ एक बहुत ही अजीबो-गरीब परम्परा यह भी है कि दशहरा शुरू हो जानें पर जो कोई भी राम का नाम लेता है, उसका नाक-कान काटकर शीशा पिलानें का प्रतिकात्मक नारा भी लगाया जाता है। शोभा यात्रा की शुरुआत से पहले ही रावण को घंटों तक सजाया जाता है। जो भी कलाकार यहाँ रावण अ किरदार निभाता है, वह खुद को काफी भाग्यशाली समझता है। रावण की पूजा करनें वाली यह रामलीला कमिटी खुद को ऋषि भारद्वाज का वंशज मानती है। यह परम्परा यहाँ सदियों से मनायी जा रही है।
लगभग 2 किमी लाभी रावण की इस शोभा यात्रा में उनके गुरु भगवान शंकर और भगवान कृष्ण की जीवनलीला पर आधारित भी कई झाकियां शामिल रहती हैं। महाराजा रावण की यह शोभायात्रा बारात इलाहबाद की श्री कटरा राम लीला कमिटी द्वारा ऋषि भरद्वाज के आश्रम से निकाली जाती है। इस उत्सव के तहत एक पखवारे तक शहर के अलग-अलग मुहल्लों में इस शोभायत्रा के बाद ही राम और हनुमान की यात्रा निकाली जाती है। यह अपनी भव्यता के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है।