पति को गोद में उठाकर कलेक्ट्रेट पहुंची पत्नी, बोली- मैं ज्योति मौर्या नहीं, जो साथ छोड़ दूं…
शायद ही कोई ऐसा होगा जिसमें यूपी की एसडीएम ज्योति मौर्या की कहानी ना सुनी हो। इन दिनों ज्योति मौर्या की कहानी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। पति ने जैसे-तैसे मजदूरी करके पत्नी को पढ़ाया लिखाया। कथित तौर पर ज्योति मौर्या पर आरोप है कि एसडीएम बनने के बाद उन्होंने पति को छोड़ दिया है। इसी बीच मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से एक कहानी सामने आई है, जहां पर यह महिला ज्योति मौर्या नहीं बल्कि प्रियंका गौड़ हैं।
प्रियंका गौड़ लवकुश नगर के परसानिया की रहने वाली हैं। वह अपने दिव्यांग पति को गोद में उठाकर कलेक्टर कार्यालय पहुंची। वह 5 साल से इसी तरह अपने पति को साथ लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं। प्रियंका गौड़ मंगलवार को एक बार फिर अपने पति को गोद में उठाकर जनसुनवाई में पहुंचीं। दरअसल, शादी के एक साल बाद ही एक सड़क हादसे के बाद प्रियंका गौड़ के पति दिव्यांग हो गए थे। अब खुद से वह चल नहीं सकते। ऐसे में पत्नी प्रियंका ही अपने पति के लिए सहारा हैं।
प्रियंका गौड़ अब पति के इलाज और अनुकंपा नियुक्ति के लिए गुहार लगा रही हैं। पति को गोद में लिए पत्नी से पत्रकारों ने सवाल किए तो उन्होंने कहा कि “मैं ज्योति मौर्या जैसी नहीं हूं। जो अपने पति को छोड़ दूं। मैं आखिरी दम तक पति का साथ दूंगी। मेरे लिए वो ही सब कुछ है।” प्रियंका गौड़ अपने पति की पीड़ा बताते हुए रोने लगी थीं।
एक्सीडेंट के बाद से ही चल नहीं पाता पति
आपको बता दें कि प्रियंका गौड़ अभी 23 साल की हैं और पति अंशुल गौड़ 30 साल के हैं। प्रियंका गौड़ की शादी अंशुल से 2017 में हुई थी। शादी के 1 साल बाद ही अंशुल एक एक्सीडेंट का शिकार हो गए थे, जिसमें उनके पैर और कमर में काफी गंभीर चोटे आई। उन्हें सर्वाइकल पेन (लकवा) की बीमारी हो गई। आर्थिक तंगी से परेशान प्रियंका अपने पति के इलाज और मां के स्थान पर उसे अनुकंपा नियुक्ति दिलाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं। लेकिन उसकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है।
जनसुनवाई में गोद में लेकर पहुंची
प्रियंका ने बताया कि वह सीएम आवास तक गई, लेकिन उनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ। प्रियंका गौड़ कलेक्टर की जनसुनवाई में पति को गोद में लेकर मदद की आस में पहुंचीं। प्रियंका ने बताया कि साहब बोले उनकी मां अध्यापक के पद पर थीं। आपके पति की योग्यता अध्यापक के अस्तर की नहीं है इसलिए अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल सकती है। प्रियंका ने बताया कि उनके पति विकलांग हैं मैं कैसे उन्हें डीएड-बीएड कराऊं। मैं बीए पास हूं लेकिन मुझे नियुक्ति नहीं मिल सकती है। मैं भोपाल पति को ले जाकर CM हाउस में CM से मिलने पहुंची थी, लेकिन 1 सप्ताह के इंतज़ार के बाद भी CM से नहीं मिल सके।
दंपत्ति सालों से परेशान हैं। उनका कहना है कि वह पिछले पांच-छह सालों से परेशान हैं। छतरपुर जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार मदद मांग चुकी है। इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। प्रियंका ने कहा कि “मैं पति को अनुकंपा नियुक्ति और इलाज के लिए करीब 5 साल से गोद में लेकर शासकीय कार्यालयों में भटक रही हूं। इसके लिए उन्होंने क्षेत्रीय सांसद और BJP प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से भी गुहार लगाई है।
लाखों रुपए का हो गया कर्जा
आर्थिक तंगी से परेशान गंभीर परिस्थिति में प्रियंका जैसे-तैसे जेवर बेचकर 1 लाख 30 हजार लेकर कानपुर पहुंची, जहां न्यूरोन हॉस्पिटल में पति अंशुल का इलाज कराया। वहां 1 माह 10 दिन भर्ती रहने के दौरान उसका सारा पैसा खर्च हो गया। पैसा नहीं होने की वजह से 9 जुलाई को छतरपुर अपने गांव वापस आ गई। कलेक्ट्रेट के जनसुनवाई में वह पति को लेकर पहुंची थी। प्रियंका और उनके पति ने बताया कि उनपर लोगों का तीन लाख से ऊपर कर्जा हो गया है। जिसे चुकाना मुश्किल हो रहा है। साथ ही इलाज के लिए पैसे नहीं बचे हैं।
मैं जिंदगी भर निभाऊंगी पति का साथ
प्रियंका गौड़ का कहना है कि “मैं ज्योति मौर्या के जैसे नहीं हूं जिसने SDM बनने के बाद अपने पति को छोड़ दिया। मैं आखिरी दम तक पति का साथ दूंगी। उनका इलाज करवाऊंगी। मेरे लिए वो ही सब कुछ है।” उन्होंने कहा कि मैंने कलेक्टर साहब को आवेदन दिया है कि मेरे पति का इलाज कराएं। मैं इलाज कराने लायक नहीं बची हूं। कलेक्टर ने कहा इंतजार करिए। पति की सरवाईकल पैन की बीमारी के लिए हर महीने की दवा 8-10 हजार रुपए में पड़ती है। मुझे 5-6 साल इलाज कराते-कराते हो गया।
मां टीचर थी, 2015 में हो गई थी मृत्यु
वहीं अंशुल ने बताया कि उसकी मां की मृत्यु साल 2015 में एक दुर्घटना में हो गई थी। उसकी मां विकासखंड गौरिहार के ग्राम की कितपुरा में शासकीय हाई स्कूल कितपुरा में अध्यापक के पद पर पदस्थ थीं, जिनकी आगजनी में मृत्यु हो गई थी। अब वह उनकी अनुकंपा नियुक्ति की मांग करता फिर रहा है। उसने जनसुनवाई में कलेक्टर से गुहार लगाई है।